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यूपी और बिहार में का बा के बाद अब एक प्रख्यात इतिहासकार ने लिखा है कि बलिया में का बा. इतिहासकार के अनुसार बलिया में सरयू, सुरहा ताल, खैराड़ीह और सिंहौरा उद्योग जैसे तमाम ऐतिहासिक, पौराणिक और पुरातात्विक स्थान है. जानें बलिया में और का बा…
सनन्दन उपाध्याय/बलिया, 20 मई: आज तक आपने सुना होगा यूपी और बिहार में का बा, लेकिन आज हम आपको बताएंगे की बलिया में का बा? बिहार और यूपी के बाद एक प्रख्यात इतिहासकार ने अपने कविता के माध्यम से बलिया में का बा बताने का बखूबी प्रयास करते हुए हर किसी का ध्यान आकर्षित किया है. इतिहासकार की मानें तो बलिया में सब कुछ है. ऐतिहासिक, पौराणिक, धार्मिक और पुरातात्विक स्थलों के साथ रोजगार का बड़ा आधार है बलिया. आइए जानते हैं पूरी जानकारी…
आकर्षण का केंद्र और रोजगार का बड़ा आधार…
प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि बलिया में गंगा, सरयू, तमसा और मगही का बहता हुआ धार, कूदते सोंस, उछलती मछली और झींगा, कछुआ का भंडार है. गंगा सरयू का सफेद चमकते उड़ते बालू, उछड़ते हिरन, खरगोश, बनैला सूकर और सिआर है. सुरहाताल जिसमें कमल का फूल, पुरईन का पात, कमलगट्टा, भसेड़, सेवार, दोहना, गुलाब का खेती बिंदी और सिंहोरा का बड़ा कारखाना है.
ये है बड़े-बड़े धार्मिक और पुरातात्विक स्थल…
बलिया में कारो के कामेश्वरधाम मंदिर है. जहां आम के पेड़ पर छिपकर कामदेव शिव पर बाण चलाए. जहां जलने का प्रमाण है. जहां विश्वामित्र मुनि संग राम लक्ष्मण रात्रि विश्राम किए, जिसका वाल्मीकि रामायण में बखान है. राम लक्ष्मण को विश्वामित्र ने ताड़का से लड़ने के लिए खाति, बला और अतिबला का विद्या सिखाए. यह वही खास लखनेश्वरडीह का स्थान है. जहां भृगु ऋषि का समाधि, खैरा डीह, राजाबली का बालेश्वर मन्दिर, शोकहरन नाथ, अवनिनाथ, मधेसर नाथ, बालखंडी नाथ, कुशेश्वर नाथ, नागेश्वर नाथ, असेगा नाथ, विमलेश्वर नाथ शिवाला के साथ रसड़ा में रोसन साह फकीर संग श्रीनाथ बाबा का मोकाम है.
ख्याति प्राप्त देवियों का है स्थान…
बलिया में भगेश्वरी माई , खरीद भवानी, ब्रह्माइन, शांकरी भवानी शंकरपुर, उचेड़ा की चंडी देवी, कपिलेश्वरी, कोरंटाडीह की मंगला भवानी का स्थान है.
ख्याति प्राप्त समाधि और पर्यटन स्थल…
इसके अलावा जिले में चैनराम बाबा, महराज बाबा, सुदिष्ट बाबा, जंगली बाबा, वनखण्डीनाथ बाबा, खपड़िया बाबा, कुकुरिया बाबा जैसे तमाम बाबा लोगों का स्थान है.
मोक्ष देने वाली धरती…
यहां गंगा में स्नान कर कौवा हंस बन जाता है, पापी को मोक्ष जैसा ददरी नहान का विधान है. यहीं पर भृगु ऋषि को भी मोक्ष मिला. यहां सदाफलदेव, बुल्ला साहेब – गुलाल साहेब का रामशाला गद्दी, मौनीबाबा की अद्वैत शिवशक्ति सम्प्रदाय, लोरिक – संवरु का अखाड़ा आदि है.
मशहूर मिठाई और अपना किसानी…
वहीं, जिले में रामगढ़ और सहतवार का टिकरी, छबीला का रसगुल्ला, लालगंज का 7 इंच लम्बा मदनघचाक, ददरी मेला का गुड़ही जलेबी बड़ा फेमस है. अपना उपज गेहूं, धान, चना, मटर, अरहर, मंसूर, गाजर, मूली, बैगन, टमाटर, आलू, गोभी, परवल, लौकी, मिर्चा, धनिया सब कुछ है जिसे अब विदेश भेजने की तैयारी हो रही है.
सब कुछ का भंडार बलिया…
इसके साथ ही बलिया में आइए ना आपका भी इंतजार है, बलिया में सब कुछ है. गांव, बजार, मुक्ति और भक्ति की प्रसिद्धि है. साहब इस बलिया का महिमा अपरंपार है.
साभार: न्यूज़ 18 उत्तर प्रदेश