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प्रेरणा प्रतिवेदन शिलचर, 3 दिसंबर: एक प्रेस विज्ञप्ति में सनातनी एकता मंच, असम के संयोजक शांतनु नायक ने बताया कि बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे अत्याचार, मानवाधिकार हनन और धार्मिक उत्पीड़न के खिलाफ आज सनातनी एकता मंच के नेतृत्व में बराक घाटी के शिलचर, श्रीभूमि, हाइलाकांडी, लक्षीपुर, रामकृष्णनगर और दीमा हसाओ जिलों में शांतिपूर्ण धरना कार्यक्रम आयोजित किया गया।
धरने के समापन पर भारत के प्रधानमंत्री, बांग्लादेश में नियुक्त उच्चायुक्त और बांग्लादेश की कार्यवाहक प्रधानमंत्री को अलग-अलग ज्ञापन सौंपे गए।
शिलचर धरना कार्यक्रम में भाजपा जिला अध्यक्ष बिमलेंदु राय, असम विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष दिलीप कुमार पाल, असित चक्रवर्ती, मिठुन नाथ, वरिष्ठ अधिवक्ता धर्मानंद देब, अधिवक्ता राजीव नाथ और अधिवक्ता मुक्ता दास सहित अन्य वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में लक्षीपुर के विधायक कौशिक राय, असम भाजपा के राज्य सचिव कणाद पुरकायस्थ, प्रमुख व्यवसायी हनुमान जैन, जय बरडिया, शिलचर प्रेस बैटरियन चर्च के तुहिन कांती घोष, राजेश दास और सेवानिवृत्त मेजर सुबेदार समरेंद्र दे सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
लक्षीपुर के धरना कार्यक्रम को अधिवक्ता मृगांक भट्टाचार्य और आरएसएस नेता शंकर दास ने संबोधित किया।
हाइलाकांडी में शांतनु दास, स्नेहल चक्रवर्ती, श्याम सुंदर रविदास और सुदीप देबराय ने अपने विचार रखे।
रामकृष्णनगर में धनंजय नाथ, पृथ्विश नाथ, शशविंदु दे, मौसमी नाथ और दिव्येंदु चक्रवर्ती ने भाषण दिया।
दीमा हसाओ में सुजॉय लांगथासा, निधुबन पाल, पार्वती थाउसेंग, सिंधु दास और दुलाल कृष्ण ने सभा को संबोधित किया।
श्रीभूमि में शिवब्रत साहा, धीरज भट्टाचार्य, संजय नाथ, रामानुज चक्रवर्ती, पंकज श्याम, नीलोत्पल दास और प्रतिमा दास ने अपने विचार साझा किए।
शिलचर धरने के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता धर्मानंद देब ने कहा: “बांग्लादेश में कानून का शासन लगभग समाप्त हो गया है। चिन्मय ब्रह्मचारी के पक्ष में अदालत में खड़ा होने का साहस किसी वकील में नहीं है। मुख्य अधिवक्ता रमेंद्र राय पर हमला होना बेहद निंदनीय है।” धरने के दौरान शिलचर जिला प्रशासन की ओर से जिला निर्वाचन अधिकारी मासी टोपनो ने उपस्थित होकर सनातनी एकता मंच का ज्ञापन स्वीकार किया। इसके बाद यह धरना कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त हुआ।
धरना में मुख्य मांगें: 1. बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार तुरंत रोके जाएं।, 2. चिन्मय कृष्ण दास को बिना शर्त रिहा किया जाए।, 3. अल्पसंख्यकों को उचित क्षतिपूर्ति प्रदान की जाए।, 4. अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप के माध्यम से अल्पसंख्यकों के अधिकार सुनिश्चित किए जाएं। एवं 5. बांग्लादेश सरकार की जवाबदेही तय की जाए।
सनातनी एकता मंच ने स्पष्ट किया है कि यदि इन मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो यह मामला अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया जाएगा। अल्पसंख्यकों के अधिकार और उनकी गरिमा सुनिश्चित होने तक आंदोलन जारी रहेगा।