धोलाई, 8 जून: काछाड़ जिले के मध्य धोलाई क्षेत्र के पानीभरा ग्राम पंचायत अंतर्गत बड़ासालगंगा फॉरेस्ट विलेज इन दिनों भयंकर प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। पिछले चार दिनों से लगातार बारिश के चलते पहाड़ियों से बहकर आए कीचड़ और मलबे ने पूरे गांव को अस्त-व्यस्त कर दिया है। गांव की लगभग हर गली और घर अब घुटनों तक कीचड़ में डूबा हुआ है।
इस भीषण आपदा ने गांव के लगभग तीन सौ बीघा कृषि भूमि को भी अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे खेतों की सारी फसल नष्ट हो गई है। इस स्थिति ने गांव के सौ से अधिक मेहनतकश परिवारों को गहरे संकट में डाल दिया है। चूंकि गांव की अधिकांश आबादी खेती-किसानी और कृषि आधारित कार्यों पर निर्भर है, इसलिए आज उनके सामने आजीविका का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है।
बरसात और पहाड़ों से कटकर आए मलबे ने गरीब ग्रामीणों के आशियानों के साथ-साथ उनके खेत-खलिहान को भी बर्बाद कर दिया है। लगातार चार दिनों से जारी इस स्थिति ने ग्रामीणों को भारी मुसीबत में डाल दिया है। कीचड़ से लथपथ घर और रास्ते, और खाने-पीने की किल्लत के बीच लोग दिन गुजारने को मजबूर हैं।
शनिवार को गांव के प्रमुख स्थानीय लोगों — ग्राम प्रधान (फॉरेस्ट हेडमैन) रतन गৌड़, उत्तम सिन्हा, बसंती गৌड़, रेखा कोल, बिशु कोल, अंजलि कोल, ऊषा गौड़ और आशा रानी गौड़ — ने बताया कि धलाई से लोहारबन तक जो सड़क निर्माण कार्य चल रहा है, उसमें पहाड़ काटने से निकली मिट्टी बिना सुरक्षा उपायों के छोड़ दी गई थी। लगातार हो रही बारिश ने वही मिट्टी बहाकर उनके गांव को बर्बादी की कगार पर पहुंचा दिया है।
ग्रामीणों की मांग:
ग्रामीणों ने प्रशासन से शीघ्र राहत और मुआवजे की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। वे चाहते हैं कि निर्माण कार्यों में पर्यावरणीय सुरक्षा का ध्यान रखा जाए और भविष्य में इस तरह की आपदाओं से बचाव के पुख्ता उपाय किए जाएं।





















