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बाबा नगरी देवघर बना साइबर अपराधियों का अड्डा, दो हजार मोबाइल नंबर सक्रिय

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अनिल मिश्र/ राँची, 25 नवंबर: द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक रावणेश्वर महादेव का नगरी यानि झारखंड राज्य  का देवघर भगवान शिव का आस्था का महत्वपूर्ण केन्द्र के रुप में जाना जाता है। लेकिन इन दिनों पूरे देश में साइबर अपराधियों के लिए एक हब बन गया है। पूरे देश में साइबर ठगी के करीब एक चौथाई यानी पच्चीस प्रतिशत मामले इस बाबा के नगरी देवघर जिले के विभिन्न जगहों में बैठकर  साइबर अपराधियों के द्वारा किये जाते हैं। देवघर में बैठे साइबर अपराधियों द्वारा बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ और राजस्थान सहित अन्य कई राज्यों के लोगों को जेब से लेकर बैंक अकाउंट पलक झपकने से पहले खाली कर दिए जा रहे हैं। देवघर से सटे जामताड़ा को पूरे देश में साइबर ठगी का पहला केन्द्र चिन्हित किया गया था। जिसके बाद साइबर ठगी का सिलसिला पूरे देश में फैल गया। इसका खुलासा हाल के दिनों में सीआईडी के डीजी अनुराग गुप्ता ने गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले संगठन इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डनेशन सेन्टर (आइफोरसी) के सहयोग से विभिन्न राज्यों में साइबर ठगी की घटनाओं में इस्तेमाल किये गये मोबाइल नंबर हासिल कर “प्रतिबिंब “ऐप के जरिए साइबर अपराधियों को ट्रैक कर किया गया। इस दौरान अकेले सिर्फ देवघर जिले में 2000 हजार मोबाइल नंबर साइबर अपराधियों के सक्रिय मिले। वहीं जामताड़ा में 751और राजधानी राँची में 77 मोबाइल नंबर सक्रिय मिले जो आंकड़ा पिछले सप्ताह का है।      पूरे देश में देवघर में सबसे अधिक साइबर अपराधियों के सक्रिय होने से वहां कार्रवाई के लिए स्पेशल टास्क फोर्स गठित की जा रही है। ताकि “प्रतिबिंब “ऐप के जरिए साइबर अपराधियों की ट्रैक करके देवघर पुलिस छापेमारी की कार्रवाई कर सके। इसके लिए सीआईडी डीजी ने पुलिस मुख्यालय एडीजी (अभियान)संजय आनंद लाठकर को एक कंपनी फोर्स देवघर एसपी को उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। वहीं राजधानी राँची के हिनू इलाके में साइबर अपराधियों का काफी लोकेशन बदलता रहने के कारण सीआईडी को आशंका है कि बाहर से आकर साइबर अपराधी राजधानी क्षेत्र में रह रहे हैं। इसीलिए इनके खिलाफ कार्रवाई का जिम्मा सीआईडी डीजी ने राँची प्रक्षेत्र के डीआईजी अजय विरबरे को दिये गए हैं। जबकि जामताड़ा में सक्रिय साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जिम्मेदारी दुमका के आरक्षी उप महानिरीक्षक को दिये गये हैं। अब देखना होगा कि इन साइबर अपराधियों पर कार्रवाई के बाद साइबर ठगी के बेइंतहा शिकार लोगों को कब तक राहत मिल सकेगा।

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