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प्रीतम दास ,हाइलाकांदी, १३ जून: हाइलाकांदी जिले में ग्लोबल पब्लिक सेंट्रल स्कूल नामक एक प्रसिद्ध निजी शिक्षण संस्थान आजकल घोर आलोचना का सामना कर रहा है। क्योंकि, इस स्कूल की कई बसें हर सुबह शहर के अलग-अलग इलाकों से छात्रों को उठाती हैं- लेकिन किसी भी बस के पास वैध बीमा, फिटनेस सर्टिफिकेट या रोड टैक्स से संबंधित दस्तावेज नहीं हैं! सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन बसों की सरकारी अनुमति पर भी कोहराम मचा हुआ है।
स्कूल प्रशासन के इस तरह के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार से आम लोगों और अभिभावकों में गुस्सा है। लेकिन, जिला परिवहन विभाग सोया हुआ है! भले ही यह अवैध बस संचालन दिन-ब-दिन जारी है, लेकिन प्रशासन की चुप्पी से हर कोई हैरान है। शहर के बीचों-बीच छोटे छात्रों का ‘लाइसेंस रहित उत्पात’ चल रहा है, फिर भी प्रशासन चुप है!
ग्लोबल पब्लिक सेंट्रल स्कूल की बसें नियमित रूप से शहर के अलग-अलग इलाकों से छात्रों को लाती-ले जाती हैं। लेकिन इन बसों के पास न तो वैध बीमा है, न ही फिटनेस सर्टिफिकेट और न ही टैक्स चोरी – फिर भी ये बिना किसी परेशानी के सड़कों पर दौड़ रही हैं। कभी भी दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है और अगर ऐसा होता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा – यह सवाल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की हाइलाकांदी शाखा ने उठाया है। संगठन का आरोप है कि इस संस्थान के लिए शिक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण व्यवसाय हो गया है। छात्रों की जान की सुरक्षा की उन्हें कोई चिंता नहीं है। ABVP ने बताया है कि उनके पास इस संबंध में पर्याप्त सबूत हैं, जो स्कूल की लापरवाही को सामने लाते हैं। परिवहन विभाग के इंटरसेप्टर वाहन हर दिन हाइलाकांदी जिले के विभिन्न इलाकों में गश्त करते हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इन अवैध स्कूल बसों की कोई निगरानी नहीं होती है! आम आदमी का सवाल यह है कि आखिर इन बसों को नियमों का उल्लंघन कर सड़कों पर चलने की इजाजत क्यों दी जा रही है? क्या यह सिर्फ लापरवाही है, या इसके पीछे कोई अदृश्य साजिश है? ABVP ने साफ तौर पर कहा है कि परिवहन विभाग की यह चुप्पी संदिग्ध है। उन्होंने मांग की है कि मामले की तत्काल जांच शुरू की जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। 24 घंटे का अल्टीमेटम, नहीं तो घेराव परिषद ने कहा है कि अगर परिवहन विभाग अगले 12 से 24 घंटे के भीतर अवैध स्कूल बस आंदोलन को रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाता है, तो एबीवीपी हाइलाकांदी परिवहन कार्यालय का घेराव करेगी और बड़ा विरोध कार्यक्रम आयोजित करेगी। संगठन की इस घोषणा से माहौल और भी गरमा गया है। इस घटना ने शहर के अभिभावकों में गहरी चिंता पैदा कर दी है। कई लोगों ने सवाल उठाया है कि क्या बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ भगवान पर छोड़ दी जानी चाहिए? एक अभिभावक के शब्दों में, “हम अपने बच्चों को शिक्षा के लिए स्कूल भेजते हैं, लेकिन उन्हें इस परिवहन प्रणाली में भेजना उन्हें मौत के मुंह में धकेलने जैसा है।” इस घटना को लेकर परिवहन विभाग पर दबाव बढ़ रहा है। अगर अवैध और बिना दस्तावेज वाली बस आंदोलन के खिलाफ तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो प्रशासन की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठेगा। आम लोगों की सुरक्षा और छात्रों के भविष्य की रक्षा के लिए अधिकारियों को अब जागने की जरूरत है।





















