गुवाहाटी। असम के पथरकंडी क्षेत्र के सुप्रसिद्ध बिष्णुप्रिया मणिपुरी कवि, साहित्यकार और पत्रकार रंजीत सिन्हा को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों और भाषा संवर्धन में विशेष योगदान के लिए “भाषा गौरव सम्मान – 2025” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें असम चरक की भाषा गौरव योजना के तहत बिष्णुप्रिया मणिपुरी साहित्य परिषद द्वारा प्रदान किया गया।
गुवाहाटी के शिल्पग्राम में आयोजित एक विशेष समारोह में, यह पुरस्कार उन्हें भाषा शहीद सुदेशना सिन्हा के 30वें शहादत दिवस के अवसर पर दिया गया। कार्यक्रम में असम साहित्य सभा के पूर्व उपाध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी कनक चंद्र शर्मा, असम साहित्य सभा के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. शरत चंद्र राव, और बांग्ला साहित्य सभा के महासचिव तथा कॉटन कॉलेज के बांग्ला विभाग के प्रोफेसर डॉ. प्रशांत चक्रवर्ती उपस्थित थे।
साहित्यिक यात्रा और योगदान
रंजीत सिन्हा का पहला कविता संग्रह “मोर ईमार थार मोर प्रेमोर कबीता” 1994 में प्रकाशित हुआ, जिसने बिष्णुप्रिया मणिपुरी साहित्य जगत में विशेष पहचान बनाई। वे हाइकू कविता लिखने वाले पहले विष्णुप्रिया मणिपुरी कवि हैं और उन्होंने पारंपरिक सॉनेट लेखन शैली से हटकर नए प्रयोग भी किए। उनके सॉनेट संग्रह “तोरे बिसरेया अहिगी ममैल” को साहित्य जगत में विशेष सराहना मिली है।
उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें 2023 में त्रिपुरा सरकार के अल्पसंख्यक भाषा विकास विभाग द्वारा “बिष्णुप्रिया स्मृति पुरस्कार” से भी सम्मानित किया गया था।
सम्मान पर क्षेत्र का गर्व
रंजीत सिन्हा ने इस पुरस्कार को अपने पथरकंडी क्षेत्र के बिष्णुप्रिया मणिपुरी समुदाय को समर्पित किया और असम सरकार, बिष्णुप्रिया मणिपुरी साहित्य परिषद, तथा अपने पाठकों का आभार व्यक्त किया। उनकी इस उपलब्धि से न केवल उनके गृह क्षेत्र, बल्कि संपूर्ण बिष्णुप्रिया मणिपुरी समुदाय में हर्ष की लहर है।
व्यावसायिक सफर
रंजीत सिन्हा का जन्म असम के पथरकंडी क्षेत्र के दक्षिण बिलबारी गांव में हुआ था। वे वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र ‘अरुणाचल टाइम्स’ में एसोसिएट एडिटर के रूप में कार्यरत हैं।
उनका यह सम्मान बिष्णुप्रिया मणिपुरी भाषा और साहित्य के संरक्षण और संवर्धन में उनकी निरंतर भूमिका को दर्शाता है।