प्रे.स. शिलचर, 16 मार्च: बिष्णुप्रिया मणिपुरी भाषा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाली शहीद सुदेष्णा सिन्हा की स्मृति में सोमवार को उनका 25वां शहीद दिवस बिहाड़ा तृतीय खंड में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया गया। इस अवसर पर बिष्णुप्रिया मणिपुरी जन संघर्ष परिषद, निखिल बिष्णुप्रिया मणिपुरी स्टूडेंट्स यूनियन, बिष्णुप्रिया मणिपुरी महिला संगठन, बिष्णुप्रिया मणिपुरी पूर्व सेवा परिषद, और बिष्णुप्रिया मणिपुरी डिप्लोमा होल्डर्स एसोसिएशन के सदस्यों ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का आयोजन किया।
शहीद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि और सम्मान समारोह
कार्यक्रम की शुरुआत में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों और संगठनों के सदस्यों ने शहीद सुदेष्णा सिन्हा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इसके बाद, समाज के विभिन्न वर्गों से आए प्रतिनिधियों को उत्तरिय पहनाकर सम्मानित किया गया।
भाषा और पहचान के संघर्ष में सुदेष्णा का बलिदान अमर
इस अवसर पर वक्ताओं ने शहीद सुदेष्णा सिन्हा के योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने अपने बलिदान से बिष्णुप्रिया मणिपुरी भाषा को विलुप्ति के कगार से बचाया। इसीलिए, 16 मार्च का दिन बिष्णुप्रिया मणिपुरी समाज के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में भाषा संघर्ष के इतिहास में एक महत्वपूर्ण तिथि के रूप में दर्ज है।
विश्व के पहले आदिवासी भाषा शहीदों में से एक
वक्ताओं ने यह भी उल्लेख किया कि दुनिया के कई देशों में भाषा अधिकारों के लिए आंदोलन हुए हैं—कुछ अहिंसक तो कुछ उग्र। लेकिन सुदेष्णा सिन्हा विश्व की पहली आदिवासी भाषा शहीद हैं, जिन्होंने मातृभाषा की मान्यता के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। आज तक, दुनिया में केवल दो महिलाओं ने भाषा के अधिकार के लिए अपने प्राण दिए हैं, जिनमें से एक सुदेष्णा सिन्हा हैं।
सम्मानित अतिथियों की उपस्थिति
इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित थे, जिनमें बिष्णुप्रिया मणिपुरी जन संघर्ष परिषद के पूर्व अध्यक्ष एवं बिष्णुप्रिया मणिपुरी छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष श्याम किशोर सिन्हा, वरिष्ठ समाजसेवी फूल कुमार सिन्हा, कानाइ लाल सिन्हा, बसुदेव सिन्हा, प्रभास सिन्हा, मृनाल कांति सिन्हा, विद्याबिनोद मिश्रा, तथा समाजसेवी रत्नज्योति सिन्हा प्रमुख रूप से शामिल रहे।
निष्कर्ष
शहीद दिवस के इस अवसर पर सभी ने सुदेष्णा सिन्हा के बलिदान को नमन करते हुए मातृभाषा की रक्षा और प्रचार-प्रसार का संकल्प लिया। यह कार्यक्रम भाषा प्रेम, संघर्ष और आत्मसम्मान की भावना को उजागर करने वाला साबित हुआ।