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अनिल मिश्र/ पटना, 31 दिसंबर: करीब एक साल पहले तक बिहार के आम लोग इस शब्द से परिचित नहीं थे।वहीं आज इस एक शब्द ने लोगों के होश उड़ा रखे हैं।वह है डिजिटल अरेस्ट ? आर्थिक रूप से गरीब और लाचार प्रदेश बिहार में साइबर अपराध की दर किसी दूसरे राज्य के मुकाबले चौकानेवाला है। करीब एक साल के अंदर डिजिटल अरेस्ट के तीन सौ से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। एक साल पहले तक जहां बिहार के आम लोग इस शब्द से परिचित नहीं थे। वहीं आज इस एक शब्द ने लोगों के होश उड़ा रखे हैं।आज लगभग हर कोई डिजिटल अरेस्ट के बारे में जरूर जानता है।अगर नहीं भी जानता है तो खबरों के जरिए डिजिटल अरेस्ट के बारे में जरूर समझ चुका है। साल 2024 में यहां डिजिटल अरेस्ट से ठगी का जो आंकड़ा वो हैरान करने वाला है।बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू, साइबर सेल) के उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) मानवजीत सिंह ढिल्लों ने बताया कि राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर पर इस साल बिहार से संबंधित डिजिटल अरेस्ट के कुल तीन सौ एक मामले दर्ज किए गए हैं।इन मामलों में दस करोड़ रुपये की धोखाघड़ी की बात सामने आयी है। शिकायत दर्ज होने के बाद साइबर प्रकोष्ठ के अधिकारियों ने अब तक डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक की राशि जब्त कर ली है।इस संबंध में डीआईजी ने बताया कि संबंधित अधिकारियों और आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि अधिकतर धोखाधड़ी में पीड़ितों को फोन दक्षिण पूर्व एशियाई देशों जैसे कंबोडिया, म्यांमार, थाईलैंड, वियतनाम और लाओस से आये हैं। हम बिहार के लगभग 374 लोगों का विवरण भी जुटा रहे हैं। जो दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में गये हैं।लेकिन अपने वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी वहीं रह रहे है। उन्होंने दावा किया कि ऐसी सूचनाएं हैं कि ये लोग राज्य के युवाओं को फंसा रहे हैं। डीआईजी ने कहा कि बिहार पुलिस के ईओयू की साइबर प्रकोष्ठ इकाई ने युवाओं को दक्षिण पूर्व एशिया में नौकरी के नाम पर जालसाजी के बढ़ते मामलों को लेकर चेतावनी दी है। वहीं नौकरी के प्रस्ताव तथा एजेंटों का सत्यापन करने का आग्रह किया है।