बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद तेजस्वी की रोहिणी सहित चार बहनों ने पटना छोड़ा, परिवार के साथ दिल्ली रवाना
बिहार प्रदेश में विधानसभा चुनाव के परिणाम राष्ट्रीय जनता दल के पक्ष में नहीं आने और लालू प्रसाद यादव के बाद राष्ट्रीय जनता दल के उत्तराधिकारी के रुप में तेजस्वी यादव के नेतृत्व पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने में भारी असफलता मिलने और इसके साथ ही पार्टी के साथ -साथ परिवारिक मामलों में भी संजय यादव और रमीज के दखलअंदाजी बढ़ने के कारण लालू प्रसाद यादव के परिवार में मन मुटाव बढ़ने लगा है। सबसे पहले लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से बाहर निकला गया। उसके बाद तेज प्रताप ने तेजस्वी के सलाहकार को लेकर गाहे-बगाहे जयचंद से दूर रहने को हिदायत देते रहे। हालांकि तेज प्रताप ने अपनी पार्टी बनाकर अकेले चुनाव लड़े। लेकिन खुद भी अपनी सीट नहीं जीत पा सके यह एक अलग बात है। लेकिन विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद

पिछले एक हफ्ते से राष्ट्रीय जनता दल के अंदर एक राजनीतिक और व्यक्तिगत उथल-पुथल जारी है। राष्ट्रीय जनता दल पहले ही बिहार विधानसभा चुनावों में अपमानजनक प्रदर्शन से जूझ रही है। बिहार विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनता की सीटें 75 से गिरकर लगभग 25 पर आ गई हैं। परिवार में आंतरिक कलह तब शुरू हुई जब लालू प्रसाद की सिंगापुर में रहने वाली बेटी और पेशे से डॉक्टर रोहिणी आचार्य ने राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से नाता तोड़ने का ऐलान किया। उनकी यह घोषणा राजद की चुनावी हार के कुछ ही घंटों बाद आई।वहीं रोहिणी आचार्य ने आज रविवार को सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया। उन्होंने कहा, ‘कल एक बेटी, एक बहन , एक शादीशुदा महिला , एक माँ को जलील किया गया , गंदी गालियाँ दी गयीं , मारने के लिए चप्पल उठाया गया , मैंने अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया, सच का समर्पण नहीं किया , सिर्फ और सिर्फ इस वजह से मुझे बेइज्जती झेलनी पडी ..’रोहिणी आचार्य ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘कल एक बेटी मजबूरी में अपने रोते हुए माँ – बाप बहनों को छोड़ आयी , मुझसे मेरा मायका छुड़वाया गया.. मुझे अनाथ बना दिया गया ….आप सब मेरे रास्ते कभी ना चलें , किसी घर में रोहिणी जैसी बेटी – बहन पैदा ना हो।’






















