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बिहार शरीफ। तीन दिवसीय नालंदा ज्ञान कुंभ का आगाज आज शनिवार को नालंदा विश्वविद्यालय राजगीर के परिसर में हुआ।

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प्रदर्शनी सह अभिनंदन समारोह का उद्घाटन पूर्व मंत्री डॉ महाचंद्र प्रसाद सिंह, स्थानीय सांसद कौशलेंद्र कुमार, बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार, नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति अभय प्रताप सिंह, झारखंड राय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सविता सेंगर और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव डॉ अतुल कोठारी ने संयुक्त रूप से किया। मंच संचालन उत्तर बिहार के प्रांत संयोजक डॉ दयानंद मेहता ने किया। अपने संबोधन में पूर्व मंत्री डॉ महाचंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि नालंदा का इतिहास गौरवशाली रहा है।यह विश्वविद्यालय दुनिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय था,जहां दस हजार छात्र और दो हजार शिक्षक थे।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नालंदा के अस्तित्व को पुर्नस्थापित करने का जो प्रयास किया है वह निश्चित रूप से देश को शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाईयों पर ले जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास शिक्षा की बेहतरी को लेकर कार्य कर रहा है।इस ज्ञान कुंभ का विषय समसामयिक है।प्रधानमंत्री भी विकसित भारत की सोच पर कार्य कर रहे है।  झारखंड राय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सविता सेंगर ने कहा कि नालंदा ज्ञान कुंभ में समस्याओं पर नहीं बल्कि शिक्षा के नवाचार पर चर्चा करने के लिए आयोजित है। दो दिनों का सत्र शिक्षा के दृष्टि से बहुत ही ज्ञान वर्धन होने वाला है। नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अभय प्रताप सिंह ने कहा कि शिक्षा और संस्कृति के उत्थान में ही ज्ञान का उत्थान शामिल है।हमारी प्राचीन  ज्ञान परंपराओं पर जो बातचीत होगी,वह एक नए विचार को जन्म देगी। जिस भारतीय ज्ञान परंपरा को एक लंबे काल तक दमन किया गया ,इस ज्ञान कुंभ के माध्यम से पुनः उद्घाटित किया जाएगा।नालन्दा के सांसद कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि जब तक देश में चरित्र निर्माण नहीं होगा,तबतक देश का भविष्य सुरक्षित नहीं कहा जा सकता है।इसलिए शिक्षा में चरित्र निर्माण पर विशेष बल देने की आवश्यकता है। आज जरूरत है देश दुनिया जिस प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रही है हमारा देश भी ऐसे ज्ञान कुंभ के माध्यम से आगे बढ़ेगा। बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि भारत को दुनिया की पहली पंक्ति में ला सके इसके पीछे का निर्धारक तत्व शिक्षा है। हमारी धरती बनावटी नहीं बल्कि प्राकृतिक है। जब तक हम ज्ञान के क्षेत्र में अव्वल नहीं होंगे तब तक हम दुनिया के अग्रणी पंक्ति में स्थान नहीं बना पाएंगे। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव डॉ अतुल कोठारी  ने न्यास के कार्य और उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि शिक्षा के भारतीयकरण को लेकर न्यास ने एक लंबे समय से कार्य किया है। आज देश के चुनौतियों का सबसे बड़ा कारण चरित्र है। न्यास से इसी दृष्टि को ध्यान में रखते हुए चरित्र निर्माण पर पाठ्यक्रम तैयार किया है।जिस नालंदा की भूमि पर हम सभी एकत्रित हुए है,वहां पर इसका प्रयोग होता रहा है। जिसे न्यास भी आगे बढ़ा रहा है। विकसित भारत का रास्ता शिक्षा से गुजरता है।शिक्षा से ही देश की नींव बनती है। धन्यवाद ज्ञापन नालंदा ज्ञान कुंभ के संयोजक डॉ राजेश्वर कुमार ने किया।मौके पर ज्ञान कुंभ के अध्यक्ष प्रो के सी सिन्हा, छपरा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ परमेंद्र वाजपेई, मुजफ्फरपुर विषयक कुलपति  प्रो दिनेश चंद्र राय,नालंदा विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ आरपी सिंह परिहार,सहित कई विश्वविद्यालय के कुलसचिव,प्राचार्य शिक्षाविद मौजूद थे।अतिथियों ने ज्ञान कुंभ के मौके पर लगी प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।

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