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बिहू आईं, बिहू आईं, रंगाली बिहू आईं रे
खुशियाँ लाईं, उल्लास लाईं, रंगाली बिहू आईं रे।।
कोयल करे कुहू-कुहू, हुचरी की मस्ती छाई रे,
पेड़ों पर नई पत्तियाँ आईं, बगिया में फूल मुसकाई रे।।
बिहू आईं, बिहू आईं, रंगाली बिहू आईं रे
फागुन गया, वसंत संग बैसाखी भी आई रे।
खेत-खलिहान झूम उठे, फसलें भी लहराई रे।।
पहला दिन गोरु बिहू, फिर मानुह बिहू आई रे,
तीसरे दिन गोसाईं बिहू, घर-घर खुशियाँ छाई रे।।
बिहू आईं, बिहू आईं, रंगाली बिहू आईं रे
खुशियाँ लाईं, उल्लास लाईं, रंगाली बिहू आईं रे।।
– सुजीत कुमार शर्मा
सहायक अध्यापक
शंकरदेव शिशु विद्या निकेतन विश्वनाथ चारीआली 9085706217




















