296 Views
मजबूरन छोड़ना पड़ा 17 साल का बीएसएनल का साथ- दिलीप कुमार
आज मैंने बड़े भारी मन से बीएसएनएल सीम को पोर्ट करने के लिए आवेदन कर दिया। पिछले 1 साल से मैं बीएसएनल को बुरी तरह झेल रहा था। वैसे तो शिलचर में जब से मोबाइल आया 17 -18 साल हो गए, मैंने कभी बीएसएनल का साथ नहीं छोड़ा। लेकिन पिछले कुछ महीनों से बीएसएनल का रिचार्ज फालतू में ही करना पड़ रहा था और मैं दूसरा सीम प्रयोग कर रहा था। जल्दी कहीं फोन बीएसएनल से लगता नहीं, फोन आता है तो रिसीव नहीं होता, रिसीव करने से आवाज नहीं आती, आवाज आने से कट कट कर आती है। मेरा बीएसएनल का नंबर ही अधिकांश लोगों के पास है, इसलिए फोन बीएसएनल में ही आता है। मुझे वापस दूसरे नंबर से फोन करके बात करना पड़ता है। एसएमएस पैक भरवाने के बावजूद मैसेज नहीं जाता। क्या करूं परेशान हो गया!!! आज मैंने थक हार कर निर्णय लिया कि बीएसएनएल सीम को पोर्ट कर दूंगा। मैंने बड़े ही दुखी और भारी मन से पोर्ट करने के लिए आवेदन भी कर दिया है। 17-18 वर्षों का साथ कुछ दिनों में छूट जाएगा। भारत सरकार, दूरसंचार मंत्रालय और बीएसएनएल के उच्च अधिकारी क्यों बीएसएनल को समाप्त करने पर तुले हुए हैं समझ में नहीं आता? आम लोगों का कहना है कि निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार खुद ही बीएसएनल को धीरे-धीरे धीमा जहर दे रही है। बीएसएनल कमजोर रहेगा तो निजी कंपनियां सिंडिकेट बनाकर उपभोक्ताओं से रिचार्ज के मनमाने पैसे वसूल करेंगे। यदि यही सच है तो बहुत चिंता की बात है। जहां जनता सरकार के ऊपर भरोसा करके उसे समर्थन दे रही है, वही खुद ही सरकार यदि इस तरह के निर्णय करने लगी तो जनता का क्या होगा और देश का क्या होगा?
अभी भी मेरे घर में बीएसएनल का तीन मोबाइल सिम, लैंड फोन और एफटीटीएच का कनेक्शन है। एक सिम प्रयोग में है लैंड फोन का कोई काम नहीं है फिर भी ऑफिस में कनेक्शन है इंटरनेट के लिए हमारे ऑफिस में एफटीटीएच का उपयोग हो रहा है। दो सिम में हर महीने₹109×2 का रिचार्ज करवाते हैं। क्या जाने कभी किसी मुश्किल में काम आ जाए? घर वालों का कहना है रिचार्ज मत कीजिए, 1 साल में फालतू ढाई हजार रुपया जा रहा है। मैं सोचता हूं की सब लोग ऐसे करेंगे तो समय से पहले बीएसएनल का भट्ठा बैठ जाएगा। मैं चाहता हूं कि बीएसएनल अच्छा से चले देश और जनता के काम आए। निजी कंपनियां अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी कर सकती है, बीएसएनल नहीं कर सकता। मेरी आम जनता से अपील है सभी लोग बीएसएनल को बचाने के लिए अपने-अपने स्तर से अवश्य प्रयास करें। आज नहीं तो कल, सरकार को सोने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। संचार क्षेत्र में सरकारी कंपनी जरूरी है, यहां बहुत कुछ गोपनीय काम भी होते हैं। जहां निजी कंपनियों का हाथ लग जाए तो बंटाधार हो जाएगा। मैं जनता जनार्दन से आशा करता हूं कि हम सभी के प्रयास से बीएसएनल एक बार फिर से अच्छे से चले और मैं दोबारा निजी कंपनी से बीएसएनल में पोर्ट करूं। आशा ही जीवन है…….