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बेरेंगा बांध की जर्जर हालत बनी खतरे की घंटी: भारी बारिश में फिर बाढ़ की आशंका, प्रशासन बना मूकदर्शक

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शिलचर, 21 मई: शिलचर के एक बड़े हिस्से के नागरिकों में इस वर्ष की आगामी बारिश को लेकर गहरी चिंता व्याप्त है। उनका मानना है कि बेरेंगा बांध की गंभीर जर्जर स्थिति समय रहते नहीं सुधारी गई तो यह क्षेत्र एक बार फिर भयानक बाढ़ की चपेट में आ सकता है।

गौरतलब है कि वर्ष 2022 की भीषण बाढ़ का मुख्य कारण बेतुकांदी बांध का टूटना था। उसके बाद राज्य सरकार ने उस बांध की मरम्मत के कुछ प्रयास जरूर किए, लेकिन बेरेंगा का करीब 180 मीटर लंबा बांध अब भी अत्यंत खराब हालत में है। मिट्टी धंसने के कारण यह बांध अब नदी के बिलकुल किनारे तक खिसक चुका है, जिससे स्थानीय लोग आशंका जता रहे हैं कि आगामी बाढ़ के दौरान नदी की धारा बदलने का भी खतरा है — जो पूरे क्षेत्र के लिए तबाही ला सकता है।

हर साल इस बांध की मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हालात में कोई खास सुधार नहीं हो रहा है। बल्कि बांध में दरारें और ज्यादा बढ़ गई हैं। बाढ़ नियंत्रण विभाग की निष्क्रियता, सरकार की अनदेखी और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी ने जनता को बेहद निराश किया है।

स्थानीय निवासियों का आरोप है कि सरकार द्वारा जारी फंड का सही उपयोग नहीं हो रहा है और भ्रष्टाचार के कारण बांध की स्थिति सुधरने के बजाय और बिगड़ती जा रही है। लोगों का यह भी कहना है कि अगर भविष्य में बेरेंगा बांध टूटता है, तो इसके लिए दोषी केवल प्रकृति नहीं बल्कि वे जनप्रतिनिधि भी होंगे जो आज आंखें मूंदकर बैठे हैं।

जनता का सवाल बिल्कुल सीधा है:
“अगर इस बार फिर बेरेंगा बांध टूटा और क्षेत्र में बाढ़ आई, तो क्या इसका दोष प्राकृतिक आपदा को दिया जाएगा या उन जिम्मेदार अफसरों और नेताओं को जो समय रहते कुछ नहीं कर रहे?”

फिलहाल, जवाब की तलाश में स्थानीय लोग असहाय महसूस कर रहे हैं। समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए गए, तो यह क्षेत्र एक और विनाशकारी बाढ़ के लिए अभिशप्त हो सकता है।

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