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बौद्ध भिक्षुओं द्वारा बोधगया में पहली बार स्टिकी राईस की खेती

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बोधगया, 10अगस्त (अनिल मिश्र)।भगवान बुद्ध के ज्ञान स्थली रहे बिहार के बोधगया में वैसे तो भारत हीं नहीं पूरी दुनिया से भगवान बुद्ध का दर्शन और पूजा-अर्चना करने के साथ-साथ ज्ञान प्राप्त करने के लिए सालों भर तथागत के अनुयायी आते रहते हैं। वहीं  कुछ बौद्ध भिक्षु या पर्यटक यहां रहकर अपना तो ज्ञान बढ़ाते तो हैं हीं साथ हीं इस ज्ञान भूमि के आसपास में बसे लोगों के प्रेरणा के स्त्रोत बन जाते हैं। ऐसा हीं नजारा अभी यहां देखने को लोगों को मिल रहा है। बोधगया स्थित मगध विश्व विद्यालय में  अभी दुनियाभर के विभिन्न देशों के लगभग 200 से ज्यादा विदेशी बौद्ध छात्र यहां रहकर अध्ययन विभिन्न विषयों में कर रहें हैं। ये लोग विभिन्न बौद्ध मंदिरों के साथ-साथ मगध विश्व विद्यालय के छात्रावास और महाविहारों में रहकर पढ़ाई करते हैं। बौद्ध मंदिरों में रहने वाले बौद्ध भिक्षु अध्ययन के साथ-साथ अपने हिसाब से खेती-किसानी के गुर भी जानते हैं। इसी सिलसिले में करीब एक एकड़ जमीन आसपास के लोगों से लीज पर लेकर स्टिकी राईस (धान) खेती कर रहें हैं। इस स्टिकी राईस की खेती के गुर बोधगया के आसपास के लोग देखकर सिख रहें हैं। बोधगया में    सालों भर  लाओस, कम्बोडिया, थाईलैंड, भूटान, तिब्बत, नेपाल सहित विभिन्न देशों के बौद्ध भिक्षुओं और पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। ऐसे में स्टिकी राईस उन्हें थाईलैंड से मंगाना पड़ता है ।हवाई जहाज से आने के कारण यहां आते आते काफी महंगा हो जाता है। ऐसे में कुछ बौद्ध भिक्षु और छात्रों ने इसकी खेती करने का मन बनाया और आसपास के ग्रामीणों से करीब एक एकड़ जमीन लीज पर लेकर इस विदेशी धान (स्टिकी राईस)की खेती कर रहे हैं। बोधगया स्थित वट लाओस बौद्ध मंदिर में रहने वाले थाईलैंड और कम्बोडिया के बौद्ध भिक्षुओं द्वारा बोधगया में पहली बार स्टिकी राईस की खेती की जा रही है।

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