होली की कथा भगवान कृष्ण से नहीं जुड़े, यह तो संभव ही नहीं है। भगवान कृष्ण और राधा के होली खेलने से जुड़े गीतों पर आज भी होली मनाने वाले झूमते हैं। कहते हैं कि भगवान कृष्ण जब शिशु अवतार में थे तो उन्हें मारने के लिए कंस ने राक्षसी पूतना को भेजा था लेकिन वह खुद भगवान कृष्ण के हाथों मारी गई। गांव के लोगों के लिए यह अद्भुत दृश्य था लेकिन कुछ ही देर के बाद राक्षसी पूतना का शव वहां से गायब हो गया था ।
उसके बाद गांव के लोगों ने पूतना का पुतला बनाकर उसका दाह संस्कार किया और राक्षसी के मारे जाने पर खुशी मनाई। इस घटना की याद में आज भी होलिका जलाई जाती है और लोग रंग खेल कर खुशियां मनाते हैं। उसके साथ एक और कथा भी जुड़ी है कहते हैं कि पूतना ने अपने स्तन से शिशु भगवान कृष्ण को जहरीला दूध पिलाया था और उसके कारण उनका शरीर नीला पड़ गया था।
भगवान कृष्ण अपने इस रंग को लेकर कोई बार माता यशोदा से कई तरह के सवाल करते थे। वह अक्सर पूछा करते थे कि राधा और अन्य गोपियों से उनका रंग अलग क्यों है? इस पर 1 दिन माता यशोदा ने भगवान कृष्ण से कहा कि अगर ऐसा है तो वह राधा को भी अपने रंग में रंग ले। इस पर भगवान कृष्ण ने देवी राधा पर नीला रंग उड़ेल दिया और उसी दिन से होली में रंग खेलने की परंपरा शुरू हुई। संकलित श्रीमती मीना दूधोरिया