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भागलपुर: एआई तकनीक से साइबर ठगी, प्रसिद्ध डॉक्टर से 50,000 रुपये की धोखाधड़ी

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अनिल मिश्र, पटना, 27 दिसंबर: बिहार के भागलपुर, जिसे सिल्क सिटी के नाम से जाना जाता है, में साइबर अपराध का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. विनय कुमार मिश्रा को साइबर ठगों ने वॉयस क्लोनिंग तकनीक का इस्तेमाल कर ठगी का शिकार बनाया। इस घटना में ठगों ने डॉक्टर के एक दोस्त की आवाज का हूबहू नकली संस्करण तैयार किया और फोन पर इमरजेंसी में मदद मांगते हुए 50,000 रुपये की रकम ट्रांसफर करवा ली।
डॉ. मिश्रा, जो कि शहर की नामी चिकित्सक डॉ. अर्चना झा के पति हैं, ठगी का एहसास होने पर तुरंत सतर्क हुए और साइबर थाने में शिकायत दर्ज करवाई।
कैसे हुई ठगी?
ठगों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित वॉयस क्लोनिंग का इस्तेमाल किया। उन्होंने डॉक्टर के करीबी दोस्त की आवाज की नकल कर फोन पर इमरजेंसी में आर्थिक सहायता मांगी। बिना शक किए, डॉ. मिश्रा ने उनकी बात मानकर तुरंत 50,000 रुपये ट्रांसफर कर दिए। बाद में उन्हें पता चला कि यह एक सुनियोजित ठगी थी।
पुलिस ने की जांच शुरू
भागलपुर साइबर थाना में इस मामले को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस इस घटना को लेकर गंभीर है और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर जांच शुरू कर दी गई है। अधिकारियों का मानना है कि वॉयस क्लोनिंग जैसे अत्याधुनिक तरीकों का इस्तेमाल कर ठगी करना एक गंभीर साइबर अपराध है, जिससे लोग सावधान रहें।
सावधानी बरतने की सलाह
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के मामलों में सतर्क रहना बेहद जरूरी है। किसी भी अज्ञात कॉल या संदिग्ध स्थिति में आर्थिक लेनदेन से पहले पूरी जानकारी की पुष्टि करना अनिवार्य है।
यह घटना न केवल साइबर अपराध की गंभीरता को उजागर करती है, बल्कि तकनीकी विकास के गलत इस्तेमाल के बढ़ते खतरों की ओर भी इशारा करती है। पुलिस प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे ऐसी किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत साइबर सेल को दें।

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