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प्रेरणा प्रतिवेदन, शिलचर 11 फरवरी: असम सरकार के आगामी 2025 के बजट को लेकर 8 फरवरी को शिलचर में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें राज्य के प्रमुख व्यवसायियों, जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों ने भाग लिया। इस बैठक का आयोजन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) काछार जिला उद्योग इकाई द्वारा किया गया था।
बैठक का मुख्य उद्देश्य राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए उद्योग, स्वास्थ्य, शिक्षा और भूमि सुधार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना था। बैठक में विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव सरकार के समक्ष रखे, ताकि बजट में इन महत्वपूर्ण विषयों को प्राथमिकता दी जा सके।
उपरोक्त बैठक में इंडियन टी एसोसिएशन के प्रतिनिधि असम के चाय उद्योग के प्रमुख उद्योगपति कमलेश सिंह ने संगठन की ओर से कुछ सुझाव प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि जैसा कि सभी जानते हैं, चाय उद्योग इस जिले की मुख्य आधारशिला है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार प्रदान करता है, जिसमें 60% से अधिक महिलाएं कार्यरत हैं। बराक घाटी का चाय उद्योग उच्च उत्पादन लागत और तैयार चाय की कम कीमतों के कारण गंभीर संकट का सामना कर रहा है, साथ ही अन्य समस्याओं से भी जूझ रहा है। इस उद्योग की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए राज्य सरकार के सहयोग की आवश्यकता है।

उन्होंने निम्नलिखित सुझाव प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस पर कृपया ध्यान दें और उपयुक्त प्राधिकरण से इन विषयों को राज्य बजट में शामिल करने का अनुरोध करें।
1. राशन (चावल और गेहूं): आप भली-भांति जानते हैं कि सरकार द्वारा चाय उद्योग को चावल और गेहूं का आवंटन बंद किए जाने के बाद, चाय बागान प्रबंधन अब खुले बाजार से खरीदकर श्रमिकों और उनके परिवारों को राशन उपलब्ध करा रहा है, जो कि उद्योग की स्थिरता के लिए पूरी तरह से अव्यवहारिक है।
हम अनुरोध करते हैं कि इस उद्योग को भारतीय खाद्य निगम (FCI) के माध्यम से सब्सिडी दरों पर चावल और गेहूं उपलब्ध कराया जाए और/या इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत शामिल किया जाए, जैसा कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा किया गया है।
2. बागान की भूमि का गैर-चाय उद्देश्यों के लिए उपयोग: चाय बागानों में व्यावसायिक गतिविधियों का विस्तार करने के लिए, हम अनुरोध करते हैं कि कम से कम 30% बागान भूमि को गैर-चाय उद्देश्यों के लिए उपयोग करने की अनुमति दी जाए। (यहां यह उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने हाल ही में 30% चाय बागान भूमि को गैर-चाय उद्देश्यों के लिए उपयोग की अनुमति दी है।)
3. ब्याज सब्सिडी: चाय उद्योग की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए, हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वित्तीय वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए ब्याज सब्सिडी जारी करने हेतु धन आवंटित किया जाए।
4. “असम कराधान (निर्दिष्ट भूमि पर कर अधिनियम)” के तहत कर भुगतान से छूट जारी रखना: इस अधिनियम के तहत अंतिम बार दी गई छूट की अवधि समाप्त हो चुकी है। हम अनुरोध करते हैं कि इस छूट को 1 जनवरी 2025 से अगले पांच (5) वर्षों के लिए फिर से बढ़ाया जाए।
5. विद्युत आपूर्ति (बिजली): आप जानते हैं कि चाय उद्योग की कुल ऊर्जा आवश्यकताओं का 72% हिस्सा बिजली से पूरा किया जाता है। नियमित और गुणवत्ता पूर्ण विद्युत आपूर्ति की अनुपलब्धता के कारण, चाय उद्योग को महंगे डीजल (HSD) जलाकर कैप्टिव पावर जनरेशन करना पड़ता है, जिससे उत्पादन लागत काफी बढ़ जाती है।
हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि इस श्रम-प्रधान उद्योग की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए इसे समर्पित बिजली लाइन के माध्यम से 24×7 नियमित बिजली आपूर्ति प्रदान की जाए।
6. मनरेगा (MGNREGA) के तहत चाय बागान क्षेत्र को शामिल करना: चाय बागानों में सड़कों और नालों के निर्माण एवं रखरखाव के कार्यों को मनरेगा योजना में शामिल किया जाए। इससे दिसंबर से मार्च के शुष्क मौसम में चाय बागान के श्रमिकों को रोजगार मिलेगा।
7. स्थानीय चाय बागानों से सरकार द्वारा चाय की खरीद: सरकार से अनुरोध है कि वह स्थानीय चाय बागानों से चाय खरीदकर उसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), राशन दुकानों और सहकारी स्टोर्स के माध्यम से वितरित/बेचे।
हम आशा करते हैं कि हमारे सुझावों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा, ताकि इस श्रम-प्रधान उद्योग का अस्तित्व सुरक्षित रह सके।
उन्होंने उपरोक्त जानकारी देते हुए श्री कमलेश सिंह जी ने हमारे प्रतिनिधि को बताया कि प्रेरणा भारती के 11 फरवरी के अंक में प्रकाशित बैठक से संबंधित समाचार में चाय उद्योग की कोई चर्चा नहीं थी, इसलिए प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से सरकार और जनता के ध्यान में लाने के लिए हम यह जानकारी प्रदान कर रहे हैं।