बराक घाटी के चाय जनगोष्टी को हम हिन्दीभाषी के रुप में जानते है क्योकि ज्यादातर ल़ोग हिन्दीभाषी क्षेत्रों से आकर अपनी खुन पसीने से चाय उद्योग को सीचा एवं चाय उत्पादन में असम को एक नई पहचान दिलाई | आज इस समाज के लोग सत्ता पक्ष द्वारा अपने को ठगा महसुस कर रहे हैं। इसके पीछे जो कारण समझ में आती है, बह हैं सत्ता पक्ष में चाय जनगोष्टी के लोगों को उचित प्रतिनिधित्व नही मिल रही हैं | इस बात की पुष्टी असम भाजपा के द्वारा नियुक्त किए गए मंडल सभापति के सूचि से की जा सकती हैं | वही असम बिधानसभा में बराक घाटी से चाय जनगोष्टी के प्रतिनिधित्व भी पहले से कम हो गयी हैं, असम के वर्तमान सत्ता पक्ष भाजपा को यह लग रही हैं कि राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिले या न मिले चाय जनगोष्टी के लोग उनको ही वोट करेंगे | अब यह चाय जनगोष्टी से जुड़ें नेताओं का काम है की वह चाय जनगोष्टी के लोगों की उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करें नही तो यह चाय जनगोष्टी के लोगों के साथ अन्याय होगा जिसका जबाब चाय जनगोष्टी के लोगों को प्रजातांत्रिक तरीक़े से देना चाहिए |





















