सड़क मार्ग: वादों के बावजूद अधूरी परियोजनाएं
बराक घाटी की सबसे प्रमुख सड़क, जो कालाइन से बिहारा बाजार होकर डलु महासड़क तक जाती है, की हालत दयनीय बनी हुई है। यह सड़क लाखों लोगों की मुख्य जीवनरेखा है, लेकिन इसकी जर्जर स्थिति किसी धान के खेत या नाले से कम नहीं लगती। वर्ष 2004 में स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शिलचर से पोरबंदर तक राजमार्ग की आधारशिला रखी गई थी, लेकिन 20 वर्षों के बाद भी यह अधूरा है। लगभग 50 किलोमीटर का कार्य अभी भी लंबित पड़ा हुआ है।
Media error: Format(s) not supported or source(s) not found
Download File: https://preranabharati.com/wp-content/uploads/2025/03/VID-20250314-WA0206.mp4?_=1शिलचर के तारापुर और शिवबाड़ी सड़क की हालत भी कोई नई नहीं है। विगत वर्ष यह मार्ग करीब पंद्रह दिनों तक वाहनों के लिए बंद था, जिससे नागरिकों को पैदल चलने पर मजबूर होना पड़ा। सरकार ने इसे लेकर कुछ कार्य शुरू किया, लेकिन अब भी स्थिति स्पष्ट नहीं है कि निर्माण कार्य किस दिशा में जा रहा है।
गुवाहाटी से मेघालय होकर जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग भी गंभीर बदहाली का शिकार है। यह राजमार्ग दक्षिण असम, त्रिपुरा, मणिपुर, मिजोरम और मेघालय को शेष भारत से जोड़ता है, लेकिन बदरपुरघाट स्थित बराक नदी पर बना पुल कभी भी गिर सकता है। यदि ऐसा हुआ, तो संपूर्ण क्षेत्र का सड़क मार्ग से संपर्क टूट जाएगा।
Media error: Format(s) not supported or source(s) not found
Download File: https://preranabharati.com/wp-content/uploads/2025/03/VID-20250314-WA0205.mp4?_=2हाल ही में भाजपा सरकार ने गुवाहाटी से मेघालय होते हुए पंचग्राम तक नए राजमार्ग की घोषणा की है, जिसमें 25,000 करोड़ रुपये खर्च होने की बात कही गई है। लेकिन क्या यह आगामी असम विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए किया गया प्रचार मात्र है? यह एक महत्वपूर्ण सवाल है।
रेलमार्ग: अभी भी असुरक्षित और अविकसित
बराक घाटी का रेलमार्ग हर वर्षा ऋतु में बाधित हो जाता है। विगत वर्ष करीब दो महीने तक लामडिंग-शिलचर रेलखंड और त्रिपुरा तक रेल सेवा बंद रही, क्योंकि भारी बारिश के कारण रेलवे ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गया था। विकल्प के रूप में चंद्रनाथपुर से लंका तक एक वैकल्पिक रेलमार्ग की मांग की जा रही है। बताया गया था कि इस मार्ग का अंतिम सर्वेक्षण हो चुका है, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
जलमार्ग: कागजों पर मौजूद, जमीन पर नहीं
असम में ब्रह्मपुत्र और बराक जैसी विशाल नदियाँ होने के बावजूद जलमार्ग का विकास नगण्य है। असम के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के चार वर्षों के कार्यकाल में भी जल परिवहन को बढ़ावा नहीं दिया गया। आज भी असम में मालवाहक जहाज नहीं चल रहे हैं, जिससे लोगों को सस्ते दर पर खाद्यान्न और आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं।
Media error: Format(s) not supported or source(s) not found
Download File: https://preranabharati.com/wp-content/uploads/2025/03/VID-20250314-WA0207.mp4?_=3ब्रह्मपुत्र भारत की सबसे गहरी नदी है, फिर भी भारत सरकार अब तक इस पर वाणिज्यिक जहाज संचालन में विफल रही है। इस नदी पर कम से कम तीन बड़े बंदरगाहों का निर्माण होना चाहिए, वहीं बराक नदी पर भी एक-दो बंदरगाहों की आवश्यकता है।
सरकार की घोषणाएँ बनाम वास्तविकता
मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा असम को देश के पांच सबसे विकसित राज्यों में शामिल करने का सपना दिखा रहे हैं, लेकिन बराक घाटी और अन्य पिछड़े क्षेत्रों की दुर्दशा इस वादे पर सवाल उठाती है। सरकार को केवल घोषणाओं और प्रचार तक सीमित न रहते हुए वास्तविक विकास कार्यों पर ध्यान देना चाहिए।
Media error: Format(s) not supported or source(s) not found
Download File: https://preranabharati.com/wp-content/uploads/2025/03/VID-20250314-WA0204.mp4?_=4भारत सरकार से जो धनराशि विकास कार्यों के लिए मिल रही है, उसका पूरी पारदर्शिता के साथ उपयोग किया जाना चाहिए ताकि जनता को इसका वास्तविक लाभ मिल सके। वरना “विकास” केवल राजनीतिक नारों तक सीमित रह जाएगा और जनता हमेशा की तरह उपेक्षित ही रह जाएगी।