शिलचर, 17 जुलाई – भारतमाला परियोजना के तहत निर्माणाधीन 306 नंबर शिलचर–आइजल राष्ट्रीय राजमार्ग के राजघाट क्षेत्र में बुधवार शाम एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। राजघाट पक्की मस्जिद के सामने सड़क किनारे अधूरे और बिना बैरिकेड वाले नाले में गिरकर एक 12-13 वर्षीय किशोर गंभीर रूप से घायल हो गया। उसके पेट में लगभग चार इंच लंबा लोहे का सरिया घुस गया, जिससे उसकी पसलियां भी टूट गईं।
स्थानीय लोगों की तत्परता से किशोर को तुरंत बचाया गया और पहले धलाई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा बाद में गंभीर स्थिति को देखते हुए शिलचर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।
घटना की वजह: घोर लापरवाही और सुरक्षा उपायों की पूरी अनदेखी
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बीते दो महीनों से निर्माणाधीन नाले का एक हिस्सा रहस्यमय ढंग से खुला पड़ा था। वहां न तो कोई बैरिकेड था और न ही कोई चेतावनी चिन्ह। सड़क किनारे लोहे की सरिए खुलेआम निकले हुए थे, जो जानलेवा साबित हो सकते हैं – और इस बार हो ही गए।
बुधवार शाम करीब छह बजे, किशोर असावधानीवश उस खुले हिस्से में गिर पड़ा और गंभीर रूप से घायल हुआ। उसके कराहने की आवाज सुनकर स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और तत्क्षण उसे अस्पताल पहुंचाया।
स्थानीयों में रोष, निर्माण एजेंसी पर लापरवाही का आरोप
घटना के बाद स्थानीय निवासियों में भारी आक्रोश देखा गया। उन्होंने आरोप लगाया कि निर्माण एजेंसी बेहद घटिया और गैर-जिम्मेदाराना तरीके से कार्य कर रही है। जनसुरक्षा के प्रति उसका कोई सरोकार नहीं है। बार-बार शिकायत के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया और निर्माण कार्य बिना किसी योजना और सुरक्षा के जारी है।
लोगों का कहना है कि अधूरा नाला खुला छोड़ना और आसपास कोई भी सुरक्षा उपाय न करना ही इस दुर्घटना का प्रमुख कारण है। इससे भारतमाला परियोजना के काम में पारदर्शिता और सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
स्थानीयों की मांग: जांच और सख्त कार्रवाई
स्थानीय जनता ने मांग की है कि इस घटना की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषी निर्माण एजेंसी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही, भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सभी निर्माण कार्यों में सुरक्षा मानकों का अनिवार्य पालन सुनिश्चित किया जाए। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो किसी बड़े हादसे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
यह हादसा न केवल एक किशोर की जान पर बन आया, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और निर्माण एजेंसी की गैर-जिम्मेदाराना कार्यशैली का भी जीवंत प्रमाण बन गया है। अब देखना है कि जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई होती है।




















