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भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का मूल आधार है प्राग्ज्योतिषपुर विश्वविद्यालय : डॉ. हिमंत बिश्वा सरमा

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व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का केंद्र बनेगा प्राग्ज्योतिषपुर विश्वविद्यालय : सुरेश सोनी
गुवाहाटी, 17 अक्टूबर 2025।
प्राग्ज्योतिषपुर विश्वविद्यालय ने अपने प्रतिष्ठा दिवस (स्थापना दिवस) का भव्य आयोजन विश्वविद्यालय परिसर, हाजोंगबड़ी, चंद्रपुर में किया। देशभर के शिक्षाविदों, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों तथा उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों ने इस अवसर पर आयोजित विविध कार्यक्रमों में सहभागिता की।
मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिश्वा सरमा ने विश्वविद्यालय के समुत्कर्ष भवन (सभागार) एवं धनवंतरि भवन (फार्मेसी विभाग) का लोकार्पण किया, जबकि विदेश राज्य मंत्री श्री पबित्रा मार्गेरिटा ने विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार (प्रवेश तोरण) का उद्घाटन किया। इस अवसर पर असम सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ. रनोज पेगू, जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी मंत्री श्री जयंत मल्ल बरुआ, आवास एवं शहरी कार्य मंत्री श्री अशोक सिंहल तथा पूर्वोत्तर परिषद (NEC) के सचिव श्री सतिंदर कुमार भल्ला उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य मा. सुरेश सोनी मुख्य वक्ता के रूप में पधारे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि “व्यक्ति निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण संभव है, और प्राग्ज्योतिषपुर विश्वविद्यालय इसी उद्देश्य की दिशा में अग्रसर है।”
मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिश्वा सरमा ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि “असम के प्राचीनतम नाम ‘प्राग्ज्योतिषपुर’ के आधार पर इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञानार्जन नहीं, बल्कि विश्वकल्याण की भावना का निर्माण करना है। उच्च तकनीकी शिक्षा के साथ आध्यात्मिकता और मानवता को भी शिक्षा का अभिन्न अंग बनाया जाना चाहिए।”
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ‘कौमुदी’ पत्रिका का विमोचन भी किया।
इस अवसर पर प्राग्ज्योतिषपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर स्मृति कुमार सिन्हा, हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के चेयरमैन प्रो. कैलाश चंद्र शर्मा, गुवाहाटी लोकसभा सांसद श्रीमती बिजुली कलिता मेधी, तथा शंकरदेव एजुकेशन एवं रिसर्च फाउंडेशन (SERF) के चेयरमैन लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राणा प्रताप कलिता सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
विद्या भारती के शैक्षिक आदर्शों से प्रेरित, भारतीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा के आठ दशकों से अधिक अनुभव से समृद्ध तथा महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव की शिक्षाओं से मार्गदर्शित विद्या निकेतन संस्थान पिछले लगभग आधी सदी से असम में विद्यालय शिक्षा को एक नया आयाम देने का कार्य कर रहा है।
इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, नई पीढ़ी को भारतीय ज्ञान परंपराओं से परिचित कराने और देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत उच्च शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से प्राग्ज्योतिषपुर विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 2022 में की गई थी, जो पूर्णत: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुरूप है।

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