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भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्कन्ठा में राम वैश्विक चर्चा का विषय होगा जन्मभूमि मंदिर और रामकथा संग्रहालय- सुबोध मिश्रा

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अयोध्या, 09 दिसंबर: देश की प्रथम इंडियन मेरीटाइम हेरिटेज कान्क्लेव-24 में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर और रामकथा संग्रहालय की विषय वस्तु को वैश्विक पटल पर प्रस्तुत किया जाएगा। नई दिल्ली के द्वारका स्थित “यशोभूमि” अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस रूम में होने वाले इस आयोजन में हिस्सा लेने के लिए रामकथा संग्रहालय के निदेशक संजीव सिंह आज रवाना हुए। सिंधु सभ्यता के समय के विश्व के पहले बंदरगाह की खोज गुजरात प्रांत के लोथल में की गई। यहीं पर भारत सरकार “इंडियन मेरीटाइम हेरिटेज कान्क्लेव” की स्थापना कर रहा है। इस बंदरगाह की खोज से स्पष्ट हुआ कि भारत का संपूर्ण विश्व में जहाज रानी से आवागमन, व्यापार और सांस्कृतिक रिश्ता लंबे समय से रहा है। 11 और 12 दिसंबर को होने वाले दो दिवसीय कॉन्क्लेव में चीन, म्यांमार, श्रीलंका, इंडोनेशिया, साउथ कोरिया, अबूधाबी, ग्रीक, इटली, यूनाइटेड स्टेट ऑफ़ अमेरिका आदि विभिन्न देशों के 58 मेहमान प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। निदेशक संजीव सिंह के अनुसार रामायण बीथिका संपूर्ण विश्व में जिस भाव से परिलक्षित है, उससे स्पष्ट है कि प्राचीन सभ्यताओं के समय से ही भारत सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक उन्नयन के संबंधों को लेकर गंभीर रहा है। हमारे यहाँ सामरिक और राजनीतिक उत्कन्ठा को अपेक्षाकृत कम महत्व दिया गया है। विश्व के विभिन्न देशों में परिस्थिति और स्थानीयता के अनुसार राम के कथानको में भले ही बदलाव हुए हों, पर जोर सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रिश्तों की मजबूती पर ही दिया गया। इसी से वसुधैव कुटुंबकम के भाव को प्रबलता मिलती है।
उक्त विषयवस्तु को स्पर्श करते हुए संजीव “साउथ ईस्ट एशिया” और “ग्रीकोवैकटीरियन हेरिटेज” विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे.
चित्र: संजीव सिंह, निदेशक श्री राम कथा संग्रहालय अयोध्या.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की व्यवस्था से जुड़े हैं।)

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