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भारत की सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण में असम विश्वविद्यालय को बड़ी उपलब्धि

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भारत की सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण में असम विश्वविद्यालय को बड़ी उपलब्धि
‘ज्ञान भारतम्’ पहल के अंतर्गत पूर्वोत्तर से चुना गया एकमात्र क्लस्टर सेंटर

नई दिल्ली / शिलचर,
भारत की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर और प्राचीन पांडुलिपियों के संरक्षण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, असम विश्वविद्यालय को संस्कृति मंत्रालय की प्रमुख पहल ‘ज्ञान भारतम्’ के तहत क्लस्टर सेंटर के रूप में चुना गया है। गौरतलब है कि यह सम्मान पूरे पूर्वोत्तर भारत से केवल असम विश्वविद्यालय को प्राप्त हुआ है।

देशभर के 17 प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ असम विश्वविद्यालय ने 25 अक्टूबर 2025 को नई दिल्ली स्थित नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट में आयोजित एक भव्य समारोह में संस्कृति मंत्रालय के साथ सहमतिपत्र (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ओर से संस्कृत विभाग के प्रो. गोविंद शर्मा ने क्लस्टर सेंटर के समन्वयक के रूप में भाग लिया।

कार्यक्रम में संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। यह आयोजन भारत की प्राचीन पांडुलिपि धरोहर के संरक्षण, संवर्द्धन और पुनर्जीवन की दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर उठाए गए एक ऐतिहासिक कदम के रूप में देखा जा रहा है।

‘ज्ञान भारतम्’ पहल के अंतर्गत कुल 12 क्लस्टर सेंटर और 5 स्वतंत्र केंद्र देशभर में स्थापित किए गए हैं, जो इस महत्वाकांक्षी परियोजना के प्रमुख कार्यान्वयन केंद्र के रूप में कार्य करेंगे।

असम विश्वविद्यालय को क्लस्टर सेंटर के रूप में चयनित किया जाना पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए गौरव की बात है। यह केंद्र अब इस क्षेत्र में ‘ज्ञान भारतम्’ मिशन का नोडल पॉइंट बनेगा और पांडुलिपि संरक्षण से जुड़ी पाँच मुख्य गतिविधियों पर कार्य करेगा —

  1. सर्वेक्षण एवं सूचीकरण
  2. संरक्षण एवं क्षमता निर्माण
  3. तकनीकी एवं डिजिटलीकरण
  4. भाषाविज्ञान एवं अनुवाद
  5. अनुसंधान, प्रकाशन एवं जनसंपर्क

यह केंद्र न केवल अपने संग्रहों पर कार्य करेगा, बल्कि पूर्वोत्तर के अन्य संस्थानों में भी पांडुलिपि संरक्षण और डिजिटलीकरण से संबंधित प्रयासों का समन्वय करेगा।

‘ज्ञान भारतम्’ योजना, जिसे केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित किया गया था, का उद्देश्य भारत की प्राचीन पांडुलिपियों की पहचान, दस्तावेजीकरण, संरक्षण, डिजिटलीकरण और प्रसार करना है। इस परियोजना का एक प्रमुख घटक राष्ट्रीय डिजिटल भंडार (National Digital Repository – NDR) का निर्माण है, जिसके माध्यम से भारत की प्राचीन ज्ञान संपदा को राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर उपलब्ध कराया जाएगा।

असम विश्वविद्यालय के लिए यह उपलब्धि न केवल शैक्षणिक सम्मान है, बल्कि पूर्वोत्तर भारत की बौद्धिक और सांस्कृतिक धरोहर को राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम भी है। यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत के प्राचीन ज्ञानकोष को जीवंत बनाए रखने में मील का पत्थर साबित होगी।

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