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भारत बनने वाला है “बुजुर्गो का देश ” नई समस्या -विशाल झा 

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हिंदी मे एक भजन है ‘चली जा रही है उम्र धीरे- धीरे ‘. जिसका मतलब है की जीवन के विभिन्न पड़ाव है बाल अवस्था, किशोर अवस्था, जवानी और बुजुर्ग अवस्था. लेकिन भारत के लिए जीवन की अंतिम अवस्था यानि बुजुर्ग अवस्था एक नई समस्या बनने वाली है. क्योंकि वर्ष 2050 तक देश मे बुजुर्गो की कुल आबादी 300 मिलियन हो जाएगी जो 2011 मे 104 मिलियन थी. ये बुजर्गो की आबादी की संख्या यूनाइटेड स्टेट्स की कुल आबादी के लगभग होगी जो 326 मिलियन है.भारत मे 80 उम्र से ज्यादा के कुल 12 मिलियन लोग है. जो बेल्जियम, क्यूबा और ग्रीस जैसे देशो की कुल आबादी है. देश की ये बड़ी बुजुर्ग आबादी कई चुनौतियों से भी गुजर रही है. जिसमें एक सबसे बड़ी चुनौती है सामाजिक अलगाव की. इसके अलावा वित्तीय अस्थिरता और बुजर्गो के लिए उपलब्ध खराब स्वास्थ्य व्यवस्था का भी ये शिकार हो रहे है. हालाँकि संविधान मे बुजुर्ग की इन आबादी के लिए भी काफी कुछ लिखा गया है. जिसमे डीपीएसपी के आर्टिकल 41 और 46 है. जो ये निर्धारित करते है की सरकार बुजर्गो के स्वास्थ्य और जरूरतो को नजरअंदाज ना करे.  इसके साथ (The Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007) भी मौजूद है. जो बुजुर्गो की हितों की बात करता है. सरकार की भी कुछ योजनाए इस दिशा मे काम कर रही है जैसे इंदिरा गाँधी नेशनल ओल्ड पेंशन स्कीम, राष्ट्रीय वायोश्री योजना आदि. लेकिन अब भी जरुरत है की एक विशेष जागरूकता की जो इस बड़ी आबादी के तबके के लिए जीवन सुलभ बना सके.

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