सिलचर: भू-माफियाओं के खिलाफ सरकार और प्रशासन चाहे जितने भी दावे कर लें, लेकिन उनकी गतिविधियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामला सिलचर शहर से सटे माचू घाट इलाके का है, जहां भूमाफियाओं ने दिनदहाड़े एक महिला की पुश्तैनी जमीन पर कब्जा कर लिया।
माचू घाट क्षेत्र में सिलचर और बराक घाटी के सबसे पुराने सरकारी वायस हायर सेकेंडरी स्कूल के पूर्व शिक्षक फणी भूषण दास की बेटी मौसमी दास पिछले कई वर्षों से अपनी 5 बीघा जमीन पर खेती कर रही थीं। लेकिन 24 मार्च को एक सुनियोजित साजिश के तहत, बदमाशों ने पटवारी और भूमि बंदोबस्त अधिकारी कार्यालय के कुछ अधिकारियों की मदद से जाली दस्तावेज तैयार करवाए और जबरन इस जमीन पर कब्जा कर लिया।
रात के अंधेरे में कब्जे की साजिश
मौसमी दास के परिवार में कोई पुरुष सदस्य न होने के कारण, उनकी बहन पोम्पी दास ने साहस दिखाते हुए विरोध किया और अस्थायी रूप से अतिक्रमण को रोक भी दिया। लेकिन, रात के अंधेरे में बदमाश दोबारा बड़ी संख्या में आए और जबरन जमीन पर कब्जा जमा लिया।
इस घटना के बाद इलाके में आक्रोश का माहौल है। स्थानीय लोग प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठा रहे हैं और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं।
मौसमी दास की गुहार: सरकार करे हस्तक्षेप
अपनी जमीन खोने से हताश मौसमी दास ने राज्य सरकार, मुख्यमंत्री और स्थानीय प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने अपनी संपत्ति वापस दिलाने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अपील की है।
प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
इस घटना ने एक बार फिर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या सरकार और पुलिस भू-माफियाओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करेगी, या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा? स्थानीय जनता अब इस सवाल का जवाब चाहती है।भू-माफियाओं का आतंक: सिलचर में पूर्व शिक्षक की बेटी की जमीन पर अवैध कब्जा, न्याय की गुहार
सिलचर: भू-माफियाओं के खिलाफ सरकार और प्रशासन चाहे जितने भी दावे कर लें, लेकिन उनकी गतिविधियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामला सिलचर शहर से सटे माचू घाट इलाके का है, जहां भूमाफियाओं ने दिनदहाड़े एक महिला की पुश्तैनी जमीन पर कब्जा कर लिया।
माचू घाट क्षेत्र में सिलचर और बराक घाटी के सबसे पुराने सरकारी वायस हायर सेकेंडरी स्कूल के पूर्व शिक्षक फणी भूषण दास की बेटी मौसमी दास पिछले कई वर्षों से अपनी 5 बीघा जमीन पर खेती कर रही थीं। लेकिन 24 मार्च को एक सुनियोजित साजिश के तहत, बदमाशों ने पटवारी और भूमि बंदोबस्त अधिकारी कार्यालय के कुछ अधिकारियों की मदद से जाली दस्तावेज तैयार करवाए और जबरन इस जमीन पर कब्जा कर लिया।
रात के अंधेरे में कब्जे की साजिश
मौसमी दास के परिवार में कोई पुरुष सदस्य न होने के कारण, उनकी बहन पोम्पी दास ने साहस दिखाते हुए विरोध किया और अस्थायी रूप से अतिक्रमण को रोक भी दिया। लेकिन, रात के अंधेरे में बदमाश दोबारा बड़ी संख्या में आए और जबरन जमीन पर कब्जा जमा लिया।
इस घटना के बाद इलाके में आक्रोश का माहौल है। स्थानीय लोग प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठा रहे हैं और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं।
मौसमी दास की गुहार: सरकार करे हस्तक्षेप
अपनी जमीन खोने से हताश मौसमी दास ने राज्य सरकार, मुख्यमंत्री और स्थानीय प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने अपनी संपत्ति वापस दिलाने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अपील की है।
प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
इस घटना ने एक बार फिर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या सरकार और पुलिस भू-माफियाओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करेगी, या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा? स्थानीय जनता अब इस सवाल का जवाब चाहती है।