इंफाल. मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के कारण ये सभी तुइबुओंग में ईसीए कनान राहत शिविर में रह रहे थे. मंगलवार की दोपहर करीब दो बजे चारों बच्चे नदी में नहाने गए थे. जब बच्चे काफी देर तक वापस नहीं लौटे, तब उनके परिवार ने उन्हें ढूंढना शुरू किया. पुलिस को इसकी जानकारी दी गई, जिसके बाद उन्होंने भी बच्चों को ढूंढना शुरू किया. पुलिस ने बताया कि बुधवार की सुबह छह बजे बच्चों का शव नदी में मिला.
मणिपुर में मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च का आयोजन किया गया था. जिसके बाद तीन मई को जातीय हिंसा भड़क गई थी. मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की हिस्सेदारी करीब 53 फीसदी है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी नगा और कुकी 40 फीसदी से थोड़ा अधिक हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं. बता दें कि मणिपुर में जारी हिंसा में अबतक 160 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.