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कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं पुरातन अध्ययन विश्वविद्यालय नलबारी, मध्य बदलनि उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एवं संस्कृत भारती उत्तर पूर्वांचल न्यास के संयुक्त तत्वावधान एवं भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीनस्थ भारतीय भाषा समिति के सौजन्य से मध्य बदलनि उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में एक दिवसीय सरल मानक संस्कृत पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में धेमाजि एवं लखीमपुर जिले के 75 संस्कृत शिक्षक, शिक्षिका एवं संस्कृत प्रेमी कार्यशाला में भागग्रहण किये।
कार्यक्रम का उद्घाटन धेमाजी जिला के अधिविद्या परिषद के सचिव, श्री गोविंद दत्ता ने किया किया। उन्होंने अपने भाषण में कहां की संस्कृत भाषा भारत की अति प्राचीन भाषा है एवं इस भाषा में हमारी संस्कृति तथा समृद्धि निहित है अतः इस भाषा के प्रचार प्रसार के लिए हमें सामाजिक जन जागृति लाने की आवश्यकता है। उद्घाटन सत्र में संस्कृत भारती, राजस्थान-क्षेत्र के संगठन मंत्री, माननीय कमल शर्मा जी ने सरल मानक संस्कृत के महत्व एवं प्रयोजन प्रतिपादित करते हुए कहा कि धार्मिक साहित्य में, मुख्य रूप से हिंदू धर्म में, इसके व्यापक उपयोग के कारण संस्कृत भारतीय संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण है, और क्योंकि अधिकांश आधुनिक भारतीय भाषाएँ सीधे तौर पर संस्कृत से ली गई हैं, या उससे बहुत प्रभावित हैं। संस्कृत संभाषण के माध्यम से हमें शास्त्र अध्ययन-अध्यापन का लक्ष्य प्राप्त करना है एवं शास्त्र में निहित ज्ञान विज्ञान का प्रकाशन संपूर्ण विश्व में करना है और यह काम, सरल मानक संस्कृत के अभ्यास के द्वारा ही संभव है। श्री भवेन शइकिया ने सरल मानक संस्कृत के क्रियान्वयन की विधि पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के संयोजकद्वय, कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं पुरातन अध्ययन विश्वविद्यालय के सर्वदर्शन विभाग के अध्यक्ष, डॉ रणजीत कुमार तिवारी एवं। मध्य बदलनि उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के संस्कृत अध्यापक श्री इन्द्रेश्वर शैकिया ने क्रमशः स्वागत भाषण एवं धन्यवाद ज्ञापन किया। डाॅ. तिवारी ने कहा कि सरल मानक संस्कृत कार्यशाला का उद्देश्य संस्कृत भाषा एवं साहित्य के प्रति अभिरुचि उत्पन्न करना, विद्यार्थियों मेॅ संस्कृत के माध्यम से नैतिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय मूल्यों को विकसित करने हेतु प्रेरित करना, संस्कृत की ध्वनियों (वर्ण, पद) का शुद्ध उच्चारण करने की योग्यता उत्पन्न करना एवं संस्कृत में सरल वाक्य समझने एवं बोलने की क्षमता विकसित करना है। और यह काम शिक्षकों के द्वारा सरल संस्कृत माध्यम से अध्यापन के द्वारा ही संभव है। कार्यशाला के संसाधकों में मुख्य रूप से श्री कमल शर्मा, श्री भवेन शइकिया, श्री कृष्णा राजवंशी, श्री धर्मानंद शर्मा आदि ने विषय प्रवर्तन एवं सरल मानक संस्कृत के क्रियान्वयन जैसे विषय पर प्रतिभागियों से चर्चा किया। कार्यशाला के अंत में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। कार्यशाला में संस्कृत शिक्षक शिक्षिका एवं संस्कृत भारती के कार्यकर्ता उपस्थित थे।