दुमदुमा (असम): महाबली हनुमान जी का जन्मोत्सव देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है, विशेष रूप से चैत्र मास में। यह पर्व प्रभु श्रीराम के परम भक्त, अंजनी और केशरी के पुत्र महाबली हनुमान जी के जन्म का प्रतीक है। हनुमान जी का बाल्यकाल नाम ‘मारुति’ था, और वह 108 विभिन्न नामों से प्रसिद्ध हैं, जिनमें से 12 नाम अत्यधिक प्रचलित हैं: वायु पुत्र, हनुमान, अंजनी पुत्र, महाबली, रामेष्ट, पिंगाक्ष, अमित विक्रम, उदाधिकरमण, फाल्गुनसुख दशग्रीवदर्पहा, लक्ष्मणप्राणदाता, और सीताशोकविनाशन।
धार्मिक मान्यता के अनुसार महाबली हनुमान जी अजर-अमर हैं और उनका अस्तित्व श्रीराम के साथ अविभाज्य है। महाकाव्य रामायण, सुंदरकांड और पुराणों में हनुमान जी की असंख्य शक्तियों का वर्णन किया गया है। उनके बारे में यह कहा जाता है कि उनके लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं है।
“संकट कटै मिटे सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा…” यह प्रसिद्ध दोहा हनुमान चालीसा में उल्लेखित है, जो यह दर्शाता है कि हनुमान जी के ध्यान और स्तुति से जीवन के सारे संकट और पीड़ाएं दूर हो सकती हैं।
विशेष रूप से, प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को महाबली हनुमान जी का पूजन और स्तुति करने से व्यक्ति के सारे कार्य संभव हो सकते हैं, और शनि देव के प्रकोप से भी रक्षा प्राप्त हो सकती है। हनुमान जी की भक्ति से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
पवन कुमार शर्मा (शिक्षक)
दुमदुमा (असम)
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