सिलचर, 8 मार्च 2025 | विशेष संवाददाता
अखिल भारतीय महिला सांस्कृतिक संगठन ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को पूरे सम्मान और जोश के साथ कछार जिले में मनाया। इस ऐतिहासिक अवसर पर, महिला सशक्तिकरण, शोषण के खिलाफ संघर्ष और लैंगिक समानता के मुद्दों पर जोर दिया गया।
महिला श्रमिकों के संघर्ष की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
8 मार्च 1857 को अमेरिका में कपड़ा उद्योग की महिला श्रमिकों ने अपने अधिकारों के लिए एक ऐतिहासिक संघर्ष छेड़ा था, जो महिलाओं के अधिकारों और श्रमिक आंदोलन का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बना। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, 1890 में समाजवादी महिलाओं के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में क्लारा ज़ेटकिन की अध्यक्षता में इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया।
रैली और सम्मेलन में महिलाओं की भागीदारी
महिला दिवस के उपलक्ष्य में, सुबह 11 बजे सिलचर सेंट्रल सिटी कल्चरल हॉल से एक भव्य रैली और जुलूस निकाला गया, जिसमें कछार जिले के विभिन्न हिस्सों से आई सैकड़ों महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस आयोजन को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए रेखा भट्टाचार्य, चंचला भर और स्वागत चक्रवर्ती की अध्यक्षता में एक प्रेसीडियम गठित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन रिम्पी बागती ने किया, जिन्होंने महिला दिवस के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ. स्मृति पाल थीं, जिनके अलावा संगठन की कछार जिला समिति की सचिव दुलाली गांगुली, खतीजा बेगम और अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे।
वक्ताओं का जोरदार संबोधन: पूंजीवाद और महिलाओं के शोषण पर प्रहार
सभी वक्ताओं ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान सरकार पूंजीपति वर्ग के हितों की रक्षा कर रही है और वैश्विक बाजार में भारतीय पूंजीपतियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए आर्थिक नीतियों को आकार दे रही है। वक्ताओं ने उदारीकरण और निजीकरण की नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ये नीतियां गरीबी और भुखमरी को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे महिलाओं को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि महिलाओं को वैश्विक बाजार में एक वस्तु के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। फिल्मों, टेलीविजन, डिजिटल मीडिया और यहां तक कि समाचार पत्रों में भी महिलाओं की छवि का शोषण किया जा रहा है। इसके साथ ही, देशभर में शराब और जुए के लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं, जिससे समाज में अपराध, नशे और असुरक्षा की भावना बढ़ रही है।
महिला अधिकारों की सुरक्षा के लिए संगठित आंदोलन की अपील
कार्यक्रम में वक्ताओं ने महिला अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए एक सशक्त आंदोलन खड़ा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जब तक पूंजीवादी सामाजिक व्यवस्था को समाप्त नहीं किया जाता, तब तक महिलाओं का सशक्तिकरण अधूरा रहेगा।
जादवपुर विश्वविद्यालय की घटना पर विरोध प्रस्ताव पारित
इसके अतिरिक्त, 1 मार्च को जादवपुर विश्वविद्यालय में प्रदर्शनकारी छात्रों पर शिक्षा मंत्री की गाड़ी चढ़ाने की घटना और विद्यासागर विश्वविद्यालय में तृणमूल छात्र संगठन और पुलिस द्वारा महिला कार्यकर्ताओं पर किए गए हमलों की कड़ी निंदा करते हुए 3 मार्च को एक विरोध प्रस्ताव पारित किया गया। वक्ताओं ने दोषियों को कठोर सजा देने की मांग की।
नारों और जोश के साथ संपन्न हुआ महिला दिवस समारोह
कार्यक्रम के अंत में जोशीले नारों के साथ महिलाओं का विशाल जुलूस शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए संपन्न हुआ। इस आयोजन ने महिलाओं में सशक्तिकरण, समानता और न्याय के प्रति नई ऊर्जा और जोश का संचार किया।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का यह आयोजन कछार जिले में महिलाओं के संघर्ष और अधिकारों की आवाज को बुलंद करने का प्रतीक बन गया।