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मादक पदार्थ अर्थात अनैतिक राष्ट्र की निर्माण सामग्री—“आनंद शास्त्री”

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परमादरणीय मित्रों ! दिनांक २६ जून अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मादक पदार्थों के सेवन एवं अवैध तस्करी के  विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने की परम्परा रही है। आज भारत के सभी सीमावर्ती क्षेत्रों से गौवंश,मानव,मादक, द्रव्यों,हथियारों के साथ-साथ नकली मुद्रा की तश्करी हमारी सामाजिक,आर्थिक,शैक्षिक, राजनैतिक एवं सुरक्षा जैसे अति संवेदनशील विषयों हेतु दिन प्रतिदिन भयावह होती जा रही है ! इसके लिये हमलोग-“सीमा सुरक्षा बल” पर पूर्ण रूप से निर्भर होकर अपनी पीढियों को बर्बादी ‘की कगार पर जाते चुपचाप देखने को अभिशप्त हैं।
इन मादक पदार्थों के सेवन से मानसिक रूप से अस्वस्थ होती हमारी युवा पीढ़ी राष्ट्र के भविष्य पर एक प्रश्न चिन्ह बन सकती है। रिजर्व बैंक के प्रयास से नकली मुद्रा पर लगाम लगती है, नोटबंदी की जाती है ! कैशलेस डीजिटल पेमेंट के द्वारा सरकार को समुचित राजस्व की भी प्राप्ति हो जाती है किन्तु अन्यान्य क्षेत्रों में तश्करी रोकने का अभी तक कोई ठोस विकल्प ढूंढने में समूचा विश्व असफल रहा है और दूसरी ओर-“ड्रोन” विमान तश्करी हेतु सबसे अधिक सफल होते जा रहे हैं।
विश्व में अपने-आप को सर्वश्रेष्ठ घोषित करने वाले देश अमेरिका की ये स्थिति है कि यहाँ प्रतिवर्ष एक लाख ऐसे बच्चे जन्म लेते हैं जो जन्मजात कोकीन के एडिक्ट इसलिये होते है कि गर्भावस्था में माताओं ने लगातार कोकीन का सेवन किया था, ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि सभी देशों में मादक पदार्थों के स्रोत केवल तश्करी ही हों,अपितु ये कडवी सच्चाई है कि भांग की कलियों से गांजा और पत्तियों से चरस बनाते हैं,ये जहरीली खेती उत्तराखंड,राजस्थान,पंजाब,गुजरात और हमारे पूर्वोत्तर में नागालैण्ड,मणिपुर में भी छुपा कर होती है ! वहीं पोस्ता के पौधों से ! हाँ मित्रों ! वही पोस्ता बीज जिसका उपयोग हमलोग नाना व्यंजनों को बनाने में करते हैं ! उसी के ढोंड और पौधे के गोंद  से अफीम जिसके द्वारा हशीश तक बनाने का खेल चलता रहता है।और इस पोस्ते की  खेती गुजरात,मध्यप्रदेश,राजस्थान में बिना किसी प्रतिबंध के होती है।
ये आश्चर्यचकित करने का विषय है कि नशे के लिये लोग-“कफ सिरप,रेंड के बीज,धतूरा,मदार,पेट्रोल,छिपकली,मेंढक,सांप, बिच्छु यहाँ तक की आसानी से उपलब्ध ग्रीस तक का उपयोग करते हैं। इनकी तश्करी की आवश्यकता ही क्या है ? नशे के गुलाम वो होते हैं जिनकी महत्वाकांक्षा असीम होती है ! अभी कुछ दिनों पहले इसी महीने मैं स्कूटी से रात आठ बजे शिलांग पट्टी से जा रहा था तो देखा मेरे आगे बीच सडक पर तीन किशोरी और दो किशोर हांथों में शराब की बोतल और सिगरेट लेकर झूमते चले जा रहे हैं ! इन्हें न समाज का भय है और न ही प्रशासन का।और ये वही लोग हैं जो हजार दस हजार के लिये किसी का खून भी कर सकते हैं।
मित्रों ! ऐसे लोगों के लिये हमारी सरकार ने सभी बडे शहरों में-“नशा मुक्ति केन्द्र(हाॅट होम)” खोले ! इनपर अरबों रुपये व्यय होते हैं ! आपके नगर में भी श्मशान रोड पर ये है ! किन्तु इन केन्द्रों से केवल सरकारी धन के दुरुपयोग के अतिरिक्त और कुछ होता हो तो मुझसे अधिक सरकार ही जानती होगी। मैंने पढा है कि-“महाजनाः गताः ते पन्था” श्रेष्ठ जन जिस मार्ग पर चलते हैं वही उत्तम पथ है ! हमारी सरकार तम्बाकू,शराब, व्हिस्की, आदि मादक पदार्थों से प्राप्त राजस्व का उपयोग देशहित में करती है ! और ये पदार्थ कितना देशहित करते हैं ये सभी जानते हैं। केवल शराब और तम्बाकू से प्राप्त राजस्व का लोभ यदि सरकार छोड़कर इनपर गम्भीरता से प्रतिबंध लगा दे तो समाज की ८०% बुराइयाँ और व्याप्त व्याधियां लगभग समाप्त हो जायेगी।
आज देश के सभी सीमावर्ती क्षेत्रों की युवा पीढ़ी नशे की दल-दल में फंस कर ! और इसकी लत लग जाने पर रुपयों के अभाव में इनकी तश्करी करने लगती है और इनके साथ-साथ वो गौवंश,नकली मुद्रा और हथियारों की तश्करी भी करते-करते आतंकवादियों को आश्रय देने लगती है।आज समूचा विश्व इस अवैध मादक पदार्थों की तश्करी से अपनी पीढियों को गर्त में जाते देखने को अभिशप्त है,दुनिया के सभी देशों को दक्षिण अफ्रीकी छोटे-छोटे देश,अफगानिस्तान,पाकिस्तान जैसे देश कोकीन और अफीम के साथ-साथ हथियार भेजकर वहाँ आतंकवाद फैला रहे हैं ! हमारे असम,मणिपुर,नागालैण्ड-उत्तराखंड,कश्मीर, पंजाब,गुजरात और राजस्थान से आप नित्यप्रति किसी न किसी माध्यम से आती ड्रग्स और हथियारों के पकड़े जाते जखीरों के समाचार सुनते ही हैं! अवैध अफीम उत्पादक क्षेत्रों में” अफगानिस्तान,ईरान और पाकिस्तान,म्यांमार, लाओस और थाईलैंड जैसे लगभग हमारे पडोसी देशों के कारण आज भारत की लगभग ८ % जनसंख्या इस विषैले जहर की चपेट में आ चुकी है ! इन मादक पदार्थों के पैकेट हर कान्वेंट, होटल,छोटी-छोटी दुकानों में मिल जाते है, ये हर प्रान्त,हर नगर,कस्बों में बिलकुल प्रशासन की नाक के नीचे मिलते हैं और तबतक मिलते रहेंगे जबतक हम आप जागृत नहीं होते,अपनी सन्तानों,मित्रों को इस विषय में सचेत करते रहने का प्रत्येक अभिभावक का प्रथम कर्तव्य है-“आनंद शास्त्री”

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