भारतीय रेल – भारत की जीवनरेखा
मानवता की मिसाल बने स्टेशन मास्टर मृणाल कांति मंडल
रात का समय था — 28 तारीख की लगभग 1 बजे। श्री अपी पाल (आयु 34 वर्ष) अत्यंत व्याकुल अवस्था में रेलवे स्टेशन पहुँचे। उनके पिता की तबीयत अचानक गंभीर हो गई थी और उन्हें तुरंत गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज ले जाना आवश्यक था। परंतु उस समय टिकट काउंटर बंद हो चुके थे।
घबराहट और चिंता के बीच जब अपी पाल स्टेशन मास्टर को ढूंढ रहे थे, तभी ड्यूटी पर तैनात स्टेशन मास्टर श्री मृणाल कांति मंडल ने आगे बढ़कर असहाय परिवार की सहायता की। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए उन्होंने तत्क्षण ही अगली उपलब्ध ट्रेन 15616 पैसेंजर में एक पक्का टिकट की व्यवस्था की।
इतना ही नहीं, उन्होंने स्वयं अपने खर्चे से पूरा टिकट किराया अदा किया, जो उनकी संवेदनशीलता और कर्तव्यनिष्ठा का अद्भुत उदाहरण है। यह कार्य केवल एक अधिकारी का नहीं, बल्कि एक सच्चे इंसान का था जिसने कठिन समय में मानवीय संवेदना को सर्वोपरि रखा।
जब ट्रेन आशा और विश्वास से भरी उस रात गुवाहाटी की ओर रवाना हुई, तो श्री अपी पाल ने अपने माता-पिता के साथ एक भावनात्मक तस्वीर साझा की और कहा —
“भारतीय रेल सिर्फ यात्रा का साधन नहीं, यह देश की जीवनरेखा है। आज स्टेशन मास्टर मृणाल कांति मंडल हमारे लिए देवदूत बनकर आए।”
यह घटना न केवल भारतीय रेल की मानवीय संवेदना को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सेवा भावना और करुणा ही इस विशाल संस्था की असली पहचान हैं।





















