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प्रेरणा प्रतिवेदन बेगुसराय, 1 मार्च: विश्व विख्यात समाजसेवी एवं मानव धर्म के प्रणेता सद्गुरुदेव श्री सतपाल जी महाराज की प्रेरणा से मानव उत्थान सेवा समिति, श्री हंस भक्ति आश्रम, बाघा, बेगूसराय (बिहार) द्वारा 28 फरवरी को बेगूसराय (बिहार) स्थित मंडल कारागार (जेल) में कैदियों के बीच सद्भावना सत्संग का आयोजन किया गया। यह सत्संग दोपहर 12 बजे से 3:30 बजे तक चला, जिसमें आश्रम प्रभारी पूज्य महात्मा संगीता बाई जी के दिशानिर्देशन में कार्यक्रम संपन्न हुआ।

सत्संग कार्यक्रम में कारा अधीक्षक श्री राकेश कुमार राय जी, जेलर श्री शिव मंगल पांडेय जी एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।
मानव सेवादल प्रांतपाल श्री सुधीर कुमार चौधरी जी ने जेल अधीक्षक श्री राकेश कुमार राय जी का पुष्पमाला से स्वागत किया।
जिला प्रधान श्री भोला ठाकुर जी ने जेलर श्री शिवमंगल पांडेय जी का पुष्पमाला से अभिनंदन किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ गुरु वंदना एवं मधुर भजनों के साथ हुआ, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
मुख्य अतिथि पूज्य महात्मा ज्ञानयुक्तानंद जी (रक्सौल से पधारे) ने अपने सत्संग विचार रखते हुए कहा—
“जब रत्नाकर देवर्षि नारद जी के संपर्क में आए और सत्संग श्रवण किया, तो वे रत्नाकर से ऋषि वाल्मीकि बन गए।”
“इसी प्रकार, जब डाकू अंगुलीमाल भगवान बुद्ध के संपर्क में आया, तो वह भी बौद्ध भिक्षु बन गया।”
उन्होंने आगे कहा—
“उल्टा नाम जपे जग जाना, वाल्मीकि भये ब्रह्म समाना।”
इसलिए हमें भी भगवान के सच्चे नाम को सच्चे सद्गुरु से जानकर भजन-सुमिरण करना चाहिए, बुरे कर्मों को त्यागकर देश और समाज की सेवा करनी चाहिए।
बेगूसराय आश्रम प्रभारी पूज्य महात्मा संगीता बाई जी ने अपने संबोधन में कहा कि-
“बिनु सत्संग विवेक न होई, राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।”
अर्थात बिना सत्संग के विवेक और ज्ञान संभव नहीं है, इसलिए जीवन में सत्संग अत्यंत आवश्यक है।
“राम भक्ति के ते अधिकारी, जिनको सत्संग लगे अति प्यारी।”
जो व्यक्ति सत्संग से प्रेम करता है, वही राम भक्ति के सच्चे अधिकारी होते ।
पूज्य महात्मा संगीता बाई जी ने बेगूसराय डीएम, एसपी, जेल अधीक्षक, जेलर एवं अन्य अधिकारीगणों का मानव उत्थान सेवा समिति की ओर से धन्यवाद एवं आभार प्रकट किया।
इस कार्यक्रम में नारी मानव सेवादल की पम्मी देवी, प्रमोद कुमार एवं अन्य कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे।