सद्भावना से ही विश्व में शांति स्थापित होगी – सद्गुरुदेव श्री सतपाल जी महाराज
प्रेरणा प्रतिवेदन कार्बी आंगलोंग, 25 मार्च: मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में विशाल सद्भावना सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें विख्यात समाजसेवी एवं मानव धर्म के प्रणेता सद्गुरुदेव श्री सतपाल जी महाराज एवं परम श्रद्धेय श्री विभु जी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया।
संतों का भव्य स्वागत
सम्मेलन में भाग लेने के लिए 24 मार्च को खटखटी पक्का फील्ड, कार्बी आंगलांग (असम) स्थित मानव कल्याण आश्रम में श्री सतपाल जी महाराज एवं श्री विभु जी महाराज का आगमन हुआ। इस अवसर पर संत-महात्माओं, गणमान्य व्यक्तियों एवं हजारों श्रद्धालुओं ने भव्य स्वागत किया। श्रद्धालुओं ने पुष्पमालाओं, असमिया गमछा, अंगवस्त्र और पुष्पवर्षा से उनका अभिनंदन किया। साथ ही, ढोल-नगाड़ों की गूंज और नृत्य के साथ पूरे वातावरण को आध्यात्मिक उल्लास से भर दिया गया। मानव सेवादल द्वारा श्री सतपाल जी महाराज को सलामी दी गई।
सद्भावना से ही विश्व में शांति संभव – सतपाल जी महाराज
25 मार्च को आयोजित विशाल सद्भावना सम्मेलन को संबोधित करते हुए सद्गुरुदेव श्री सतपाल जी महाराज ने कहा कि असम की यह पावन भूमि महापुरुषों की भूमि रही है। यहाँ महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव, महापुरुष माधवदेव और महापुरुष दमोधरदेव ने भजन-कीर्तन के माध्यम से भगवान के पवित्र नाम का प्रचार-प्रसार किया।
उन्होंने कहा—
“नाम प्रभाव जान गणराव, प्रथम पूजत नाम प्रभाव।”
जिस प्रकार भगवान गणेश की प्रथम पूजा उनके नाम के प्रभाव से होती है, उसी प्रकार भगवान के नाम और सत्संग से व्यक्ति का उत्थान संभव है।
सद्गुरुदेव ने रामचरितमानस का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान राम ने माता शबरी के जूठे बेर प्रेमपूर्वक ग्रहण किए और यह सिद्ध किया कि उच्च-नीच, जात-पात से ऊपर उठकर प्रेम और सद्भावना ही सच्ची भक्ति है।
सद्भावना से ही शांति स्थापित होगी
सद्गुरुदेव श्री सतपाल जी महाराज ने कहा कि संपूर्ण विश्व में शांति स्थापित करने के लिए सद्भावना आवश्यक है। इसका प्रारंभ व्यक्ति को स्वयं से करना होगा। जब प्रत्येक व्यक्ति अपने भीतर प्रेम, सेवा और समर्पण की भावना विकसित करेगा, तभी समाज में सद्भाव, समरसता और शांति का वातावरण बनेगा।
इस विशाल आयोजन में हजारों श्रद्धालु, संत-महात्मा, गणमान्य नागरिक एवं समाजसेवी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान भजन-कीर्तन, प्रवचन एवं आध्यात्मिक चर्चा का आयोजन किया गया, जिससे उपस्थित श्रद्धालुओं ने आध्यात्मिक प्रेरणा प्राप्त की।
(विशेष प्रतिनिधि)