उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का पूरा फोकस दलित समुदाय के वोटबैंक पर है, जिसे साधने के लिए बसपा संस्थापक कांशीराम का सहारा ले रही है. कांशीराम की परिनिर्वाण दिवस 9 अक्टूबर से संविधान दिवस 26 नवंबर तक कांग्रेस डेढ़ महीने तक दलित समुदाय के बीच अलग-अलग कार्यक्रम चलाएगी. इस तरह कांग्रेस ने बसपा के परंपरागत वोटबैंक में सेंधमारी की रणनीति बनाई है.
कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस से शुरू होने वाले दलित संवाद कार्यक्रमों के संबंध में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कोर कमेटी की एक बैठक हुई है, जिसमें दलित समुदाय को जोड़ने की रूपरेखा तैयार की गई है. कांग्रेस ने दलित गौरव संवाद, दलित गौरव यात्रा तथा रात्रि चौपालों के जरिए हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 250 दलित मतदाताओं के साथ संपर्क स्थापित करने की रणनीति बनाई है. कांग्रेस ने नौ अक्टूबर से लेकर 26 नवंबर तक अलग-अलग कार्यक्रम अयोजित करके ज्यादा से ज्यादा दलित समुदाय को साथ जोड़ने का लक्ष्य रखा है.
पार्टी उत्तर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में दलित नेताओं की बैठक, हर एक विधानसभा क्षेत्र में 250 दलितों से संपर्क, दलित बस्तियों में रात्रि चौपाल और 500 दलित परिवारों से अधिकार मांग पत्र भरवाएगी. इसके अलावा सभी लोकसभा क्षेत्रों में दलित एजेंडे पर चर्चा, कोर ग्रुप का गठन और सभी 18 मंडलों में दलित गौरव यात्रा निकाली जाएगी. कांग्रेस अगले डेढ़ महीने के दौरान एक लाख से ज्यादा दलित समुदाय के प्रभावशाली लोगों के साथ संपर्क करने और उन्हें जोड़ने की कवायद करती हुई नजर आएगी. इस सिलसिले में कांग्रेस नेताओं ने दलितों की बस्तियों में ज्यादा से ज्यादा संपर्क साधना शुरू कर दिया है.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय दलितों के साथ यह सिलिसिला शुरू कर चुके हैं. पिछले सप्ताह लखनऊ में एक दलित बस्ती में सहभोज कार्यक्रम में शिरकत कर दलितों के साथ संवाद किया था. उसी के बाद ही पार्टी ने रणनीति तय की गई कि लोकसभा चुनाव से पहले 22 फीसदी दलित समुदाय को जोड़ने का अभियान चलाया जाए. कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस के दिन अजय राय मोहनलालगंज या फिर बाराबंकी में दलित समाज के बीच होंगे. ऐसे ही पार्टी के दूसरे नेता अलग-अलग जिलों में होने वाले कार्यक्रम में शिरकत करेंगे.
उत्तर प्रदेश में दलित समुदाय को जोड़ने के लिए कांग्रेस अपने बड़े दलित नेता और दूसरे दिग्गज नेताओं को भी उतारेगी. ये दिग्गज नेता दलित बस्तियों में अधिकार पत्र भरवाते नजर आएंगे. सूत्रों की मानें तो पंजाब के मुख्यमंत्री रहे चरणजीत सिंह चन्नी और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रहे नितिन राउत जैसे नेता भी यूपी की दलित बस्तियों में उतारे जा सकते हैं. इसके अलावा पीएल पुनिया और सूबे के दूसरे दलित नेता भी इस अभियान को धार देने का काम करेंगे.