मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने असमिया साहित्य को समृद्ध बनाने में स्वर्गीय होमेन बोरगोहाईं की भूमिका के लिए उनकी जयंती पर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए वर्ष 2024 के लिए साहित्यिक पेंशन और पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को अपनी शुभकामनाएं दीं। उल्लेखनीय है कि साहित्यिक पुरस्कारों के तहत पुरस्कार विजेताओं को 50 हजार रुपये का एकमुश्त वित्तीय अनुदान और साहित्यिक पेंशन के तहत 50 हजार रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी। साहित्यकारों को 8 हजार रुपये दिये जायेंगे।
इस अवसर पर बोलते हुए मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने कहा कि असमिया साहित्य को समृद्ध करने वाले स्वर्गीय होमेन बोरगोहाईं को सच्ची श्रद्धांजलि देते हुए उनकी जयंती पर राज्य सरकार ने साहित्यिक पेंशन और साहित्यिक पुरस्कार देने का फैसला किया है। उन्होंने यह भी कहा कि 20वीं सदी में असमिया साहित्य को आगे बढ़ाने में जिन हस्तियों ने बहुत बड़ा योगदान दिया, उनमें स्वर्गीय होमेन बोरगोहाईं सबसे प्रमुख हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वकोश की शुरुआत के माध्यम से असमिया साहित्य को समृद्ध करने में स्वर्गीय होमेन बोरगोहाईं का योगदान अद्वितीय है।
डॉ. सरमा ने कहा कि जब असमिया समाज जटिल परिस्थितियों से जूझ रहा था, तो स्वर्गीय बोरगोहाईं ने अपनी साहित्यिक रचनाओं से समाज को रास्ता दिखाया। विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में अपने संपादकीय के माध्यम से स्वर्गीय बोरगोहाईं ने साहित्य में व्यावहारिकता का तत्व लाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा का प्रचलन दुनिया भर में बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार मातृभाषा के रूप में बोली जाने वाली सभी भाषाओं और बोलियों को सर्वोच्च सम्मान देती है। उन्होंने कहा कि जातीय लोगों की भाषाएं और बोलियां राज्य की प्राचीन संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई भाषा या बोली विलुप्त हो जाती है, तो उससे जुड़ी संस्कृति भी लुप्त हो जाती है। इसलिए असम सरकार सभी भाषाओं के संवर्धन के लिए कदम उठा रही है।
असमिया भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न भाषाओं और बोलियों का प्रतिनिधित्व करने वाली सभी साहित्य सभाएं इस निर्णय का स्वागत करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि असमिया भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया जाना सभी की उपलब्धि है। भाषा गौरव सप्ताह के दौरान पूरे राज्य में लगभग 1.5 लाख बैठकें आयोजित की गईं, जिनमें विभिन्न जातीय समुदायों के साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। असमिया भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने की पहल के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि असम से जुड़े सभी लोग इस उपलब्धि पर गर्व महसूस करते हैं।
ज्ञात हो कि वर्ष 2024 के लिए साहित्यिक पेंशन और साहित्यिक पुरस्कार के लिए कुल 31 साहित्यकारों का चयन किया गया है, जिनमें से तीन को साहित्यिक पेंशन और बाकी को साहित्यिक पुरस्कार दिया गया है। कछार की शिला महंता, शोणितपुर के दिलीप कुमार फुकन और लखीमपुर के खगेंद्र नाथ बोरा को साहित्यिक पेंशन से सम्मानित किया गया है।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री रनोज पेगु, गौहाटी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नानी गोपाल महंत, शिक्षा विभाग के सलाहकार प्रो. देवव्रत दास, स्वर्गीय होमेन बोरगोहाईं के पुत्र प्रदीप्त बोरगोहाईं और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।