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मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मानिडर और न्यायप्रिय नेतृत्व की मिसाल: विधान सभा सत्र में दिया ऐतिहासिक भाषण।

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शिवकुमार पासवान 28 अगस्त: मंगलवार को असम विधान सभा सत्र में बोलते हुए मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने ऐसा भाषण दिया, जिसे सुनकर हर असमवासी का दिल गर्व से भर गया। उनका भाषण न केवल साहसिक था, बल्कि उन्होंने यह भी दिखाया कि एक सच्चे नेता को कैसा होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में बेबाकी से राज्य की समस्याओं और चुनौतियों का जिक्र किया, साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि उनका नेतृत्व किसी भी तरह के दबाव में नहीं झुकने वाला है।
मुख्यमंत्री शर्मा ने असम में सुधारात्मक कदमों के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया और राज्य के विकास के लिए उठाए गए अपने कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके नेतृत्व में असम एक सुरक्षित और सशक्त राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने बिना किसी डर और पक्षपात के निर्णय लेने की अपनी क्षमता को भी उजागर किया, जो असम के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने हाल ही में हुए धींग रेप कांड पर भी कठोरता से अपनी बात रखी। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि चाहे आरोपी हिंदू हो या मुस्लिम, ऐसे जघन्य अपराध करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। उनका यह बयान राज्य में न्याय व्यवस्था और कानून के प्रति उनकी दृढ़ता को दर्शाता है। मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि अपराधियों को उनकी जाति, धर्म या किसी भी पहचान के आधार पर कोई छूट नहीं दी जाएगी, और कानून के अनुसार कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में विपक्ष पर भी निशाना साधा, जो उनकी निजी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठा रहा था। उन्होंने कहा, विपक्ष मेरी निजी सुरक्षा व्यवस्था से परेशान है। मेरी सुरक्षा की मुझे कोई चिंता नहीं है, मुझे सिर्फ राज्य की सुरक्षा की चिंता है। जब अलगाववादी बम विस्फोट की धमकी देते हैं, तो सबसे पहले निवेशक डर जाते हैं और हमारे युवाओं की नौकरियां खतरे में होती हैं। इस बयान के जरिए मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता राज्य और उसके लोगों की सुरक्षा है, न कि अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा।इसके साथ ही, मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने विधान सभा में एक और महत्वपूर्ण बयान दिया जिसने सदन में हंगामा खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा,असम को मिया की भूमि नहीं बनने दूंगा। यह बयान देते ही सदन में बैठे विपक्षी नेताओं ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया। इस बयान के माध्यम से मुख्यमंत्री ने राज्य की पहचान और संस्कृति की सुरक्षा को लेकर अपनी दृढ़ता को प्रकट किया और यह स्पष्ट किया कि वे किसी भी तरह के विभाजनकारी एजेंडे को असम में पनपने नहीं देंगे।
डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने अपने भाषण में यह संदेश दिया कि असम को एक निडर और न्यायप्रिय नेतृत्व की आवश्यकता थी, और वह इस भूमिका में पूरी तरह से खरे उतर रहे हैं। उनके नेतृत्व में असम की जनता को यह विश्वास हो चला है कि राज्य सही दिशा में आगे बढ़ रहा है और हर नागरिक की उम्मीदों पर खरा उतरेगा। मुख्यमंत्री का यह भाषण न केवल विधान सभा में उपस्थित लोगों को प्रभावित कर गया, बल्कि पूरे राज्य में उनकी लोकप्रियता को और भी बढ़ा दिया है। असम को अब एक ऐसा नेता मिल गया है, जो निडर है, न्यायप्रिय है, और राज्य की भलाई के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री के इस साहसिक कदम की सभी ने सराहना की है, और यह भाषण निश्चित रूप से आने वाले समय में असम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

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