प्रे.सं.लखीपुर २१ अक्टूबर : मैतेई मणिपुरी समाज के लोग नवरात्र में भिन्न स्वरूप की करते हैं पुजा। लखीपुर विधानसभा क्षेत्र के पालेरबंद मणिपुरी बस्ती में नवरात्र के पावन अवसर पर पंचमी तिथि से एकादशी तिथि तक दुर्गा का भिन्न स्वरूप का सात दिन मां पान्थैबी का पुजन किया जाता है, इसमें माता के वाहन बाघ तथा भाला को प्रमुख अस्त्र दर्शाया जाता है। क्षेत्र के कामरांगा, विन्नाकांदि, कप्तानपुर , तोलेनग्राम, शिवपुर, आदि मणिपुरी गांव में इनका पुजन किया जाता है। ईमा पान्थैबी ईरात थौनिलुप समिति पालेरबंद पिछले १४ वर्षों से उक्त देवी का बार्षिक पुजन करते आ रहे हैं, समिति पहले पालेरबंद बाजार में पुजा किया करते थे, परंतु ३७ नं राष्ट्रीय राजमार्ग बनने से पुजा करने के लिए पर्याप्त जगह की कमी होने पर समिति ने बाजार से सामान्य दुरी पर एक जमीन का टुकड़ा खरीद कर पिछले तीन वर्ष से वहीं पर पुजा का आयोजन कर रहे हैं। पत्रकारों से बातचीत में समिति के अध्यक्ष के.चन्द्रधन सिंह ने बताया कि पालेरबंद चाय बागान में एक बड़ा टिला के उपर सन् १९१८ईं में पान्थैबी मंदिर बनवाया गया था और तब से वहीं पर मणिपुरी संस्कृति के अनुसार संक्षिप्त रूप से पान्थैबी का पुजन हुआ करता था, धीरे धीरे संस्कृति का विकास तथा लोगों में जागरूकता जैसे -जैसे बढ़ता आया वैसे ही भक्तों की भीड़ भी बढ़ाता आया, जिससे उक्त टिला पर जगह अपर्याप्त होने लगी तब तत्कालीन समिति द्वारा बार्षिक सात दिवसीय पुजा को पालरबंद बाजार में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया था जहां ११ वर्षों तक करने के पश्चात अब पिछले तीन वर्षों से समिति के अपनी जमीन पर पुजा हो रहा है। उक्त पान्थैबी पुजा कोई भी प्रसाद आग या ताप से पकी हुई नहीं होता है,अन्न,फल ,मुल सभी कच्चे ही चढ़ाया जाता है , बाद में चढ़ाएं गए अन्न को और भी अन्न सब्जी के साथ मिलाकर पकाने के बाद प्रसाद के रूप में उपयोग किया जाता है, पिछले वर्ष हर दिन लगभग दो सौ से तीन सौ लोग प्रसाद ग्रहन किया था, समिति ने आशा किया है कि इस वर्ष यह संख्या और भी बढ़ेगी।इस पुजा के लिए समिति को प्रत्येक वर्ष पड़ोस के राज्य मणिपुर से आचार्यों को बुलाना होता है, उनके अनुसार इस क्षेत्र में मणिपुरी संस्कृति को मानकर पान्थैबी पुजन करने वाले अभिज्ञ आचार्य की अभाव है। पान्थैबी पुजन के अवसर पर”पेना” नामक एक विशेष वाद्ययंत्र बजाया जाता है वह भी हमारे क्षेत्र में उपलब्ध नहीं है। पान्थैबी पुजन सबसे महत्वपूर्ण “माईबी”होती है जिसके बिना पुजा संभव नहीं है और “माईबी”केवल मणिपुर में ही पायी जाती हैं। उन्होंने आगे कहा कि पान्थैबी पुजन के लिए हमारे क्षेत्र में आचार्य प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करना जरूरी है। समिति के महासचिव एन जी रंजु सिंह ने कहा कि मणिपुर की हालत सामान्य होने पर वहां होने वाली आचार्य प्रशिक्षण शिविरों में जाकर भाग लेने के लिए यहां से मणिपुरी भाषा में स्नातक युवाओं को भेजकर शिक्षण लिआ जा सकता है। अंत में समिति के कार्यकर्ताओं ने सभी भक्तों को पुजा पंडाल में आकर दर्शन करने तथा प्रसाद ग्रहन करने का आग्रह किया। समिति में , अध्यक्ष,के.चंन्द्रधन सिंह, महासचिव,एन जी.रंजु सिंह,सह सचिव,वाई.नील कुमार, उपदेष्टाओं ,कि एस . योगेन्द्र सिंह,एन जी.ब्रजधन सिंह,वाई.बाबाधन सिंह,के एच.गौरहरी सिंह सदस्यों,एस.सेनातोंबा सिंह,ई.हरिसुबा सिंह सहित अन्य है पा।
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- Admin
- October 21, 2023
- 1:47 pm
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मैतेई मणिपुरी समाज नवरात्र में मां के अलग स्वरूप की करते हैं पूजा
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