नई दिल्ली। छह सदस्यीय भारतीय मुक्केबाजी दल से 2024 पेरिस ओलंपिक में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन उसके खाते में कोई पदक नहीं आया। इस दल में दो विश्व चैंपियन और दो विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता शामिल हैं। ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मैरी कॉम (41) पेरिस ओलंपिक में मुक्केबाजी में आयु सीमा के नियम के कारण भाग नहीं ले पाईं क्योंकि 40 वर्ष से अधिक आयु के किसी भी व्यक्ति को भाग लेने की अनुमति नहीं है।
उन्होंने खुलासा किया कि वह इवेंट में खराब प्रदर्शन को पचा नहीं पाईं। उन्होंने आईएएनएस को बताया, “मुझे अंदर से बहुत बुरा लगा, कोई प्रगति नहीं हुई। पेरिस ओलंपिक निराशाजनक रहा, सभी मुक्केबाज हार गए। मैं उनके प्रदर्शन को पचा नहीं सकी और बस यही सोचती रही कि ‘अगर मैं वहां होती तो’। प्रदर्शन के मामले में मैं अब भी इन लड़कियों से बेहतर लड़ सकती हूं, लेकिन उम्र सीमा के कारण भाग नहीं ले सकी।”
मैरी कॉम ने इंडियन गेमिंग कन्वेंशन (आईजीसी) के दूसरे सीरीज में एक विशेष संबोधन के दौरान कहा, “मैं अभी भी प्रशिक्षण ले रही हूं, अपनी फिटनेस को लेकर चिंतित हूं। मुझे पूरा भरोसा है कि अभी भी कोई मुझे एक या दो राउंड तक नहीं छू सकता। यही मेरी भावना है। मौजूदा मुक्केबाजों में आत्मविश्वास नहीं है और आप इसे देख सकते हैं। मुझे दर्द महसूस हुआ जब मैं सोचती रही कि केवल मुक्केबाजी पर ही आयु सीमा क्यों है? मुझमें अभी भी वह भूख है, मेरा सपना और ओलंपिक लक्ष्य अब भी तड़प रहा है।”
भारत ने ओलंपिक मुक्केबाजी में अपना पहला पदक 2008 बीजिंग ओलंपिक में जीता था। विजेंदर सिंह ने ऐतिहासिक कांस्य पदक जीता। उसके बाद मैरी कॉम ने 2012 लंदन ओलंपिक में महिला फ्लाईवेट में कांस्य पदक जीता। वहीं, 2016 के रियो ओलंपिक में मुक्केबाजी में कोई पदक नहीं आया, लेकिन 2020 टोक्यो ओलंपिक में लवलीना बोर्गोहेन ने कांस्य पदक जीता।