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#मोदी_जी_जवाब_दो इस वक्त सबसे बड़ा सवाल- पीएम मोदी मणिपुर पर मौन क्यों हैं?

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अभिमनोज. यह हो सकता है कि विपक्ष मणिपुर को लेकर राजनीति कर रहा हो, जैसा कि मोदी टीम आरोप लगा रही है कि- यह भी हो सकता है कि विपक्ष दिखावा कर रहा हो, बावजूद इसके, सबसे बड़ा सवाल यही है कि- मोदी मणिपुर पर मौन क्यों हैं?
ऐसा भी नहीं है कि वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरह कम बोलते हों, पीएम मोदी बोलते हैं और खूब बोलते हैं, घंटों-घंटों बोलते हैं, लेकिन मणिपुर पर उनका मौन आश्चर्य भी पैदा कर रहा है?
शायद यह वजह हो सकती है कि पीएम मोदी किसी भी नाकामी की जिम्मेदारी नेहरू से लेकर विपक्षी मुख्यमंत्रियों पर डालते रहे हैं, लेकिन…. मणिपुर में तो डबल इंजन की सरकार है, जिम्मेदारी किस पर डालें?
जो हो, देश की जनता चाहती है कि पीएम मोदी मणिपुर पर बोलें कि- आखिर वहां हो क्या रहा है और डबल इंजन सरकार कर क्या रही है?
मणिपुर में शांति के लिए क्या किया जा रहा है और हिंसा के दोषियों के खिलाफ क्या एक्शन लिया जा रहा है!
खबरें हैं कि…. विपक्षी गठबंधन इंडिया के 21 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल दो दिन का मणिपुर दौरा पूरा कर 30 जुलाई 2023 की दोपहर दिल्ली लौट आया है और जो रिपोर्ट आ रही है, वह विचलित करनेवाली हैं.
खबरों की मानें तो…. एयरपोर्ट पर आरजेडी सांसद मनोज झा का कहना था कि- हम चाहते हैं कि मणिपुर में शांति बहाल हो, हमारी एकमात्र मांग है कि दोनों समुदाय सद्भाव से रहें, मणिपुर में स्थिति पीड़ादायक है, संसद में पहले ही चर्चा हो चुकी है कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मणिपुर का दौरा करना चाहिए.
यही नहीं, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई बोले कि- पीएम मोदी को भी मणिपुर का दौरा करना चाहिए, उनके मंत्री दिल्ली में बैठकर बयान दे रहे हैं, उन्हें वहां की जमीनी हकीकत देखने के लिए वहां जाना चाहिए.
कांग्रेस के ही अधीर रंजन चौधरी का तो कहना था कि- केंद्र सरकार मणिपुर में शांति बहाली के लिए कुछ नहीं कर रही है, वहां लोगों के पास ना तो खाना है और ना ही दवाएं.
इस दौरान इन सांसदों ने मणिपुर की गवर्नर अनुसुइया उइके से मुलाकात भी की और 21 सांसदों ने अपने हस्ताक्षर वाली एक चिट्‌ठी उन्हें सौंपी, जिसमें उन्होंने मांग की है कि राज्यपाल सरकार से कहें कि राज्य में हो रही हिंसा को लेकर जरूरी कदम उठाए जाएं, इतना ही नहीं, विपक्षी सांसदों का साफ कहना था कि- इस मामले पर प्रधानमंत्री की चुप्पी दिखाती है कि वो गंभीर नहीं हैं?
इनका यह भी कहना था कि- राज्य और केंद्र सरकार प्रदेश के दो समुदाय के लोगों के जीवन और संपत्ति को सुरक्षा देने में फेल रही हैं क्योंकि अब तक 140 मौतें, 500 से ज्यादा कैजुअलिटी और 5 हजार से ज्यादा घरों में आग लगाने की घटनाएं हो चुकी हैं, इसके अलावा 60 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित किए गए हैं.

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