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जैसे था ही कुछ कहीं ना...
था कमाल, हां धमाल, दिल जैसे मालामाल
तेरा जिंदगी मे आना
ना मलाल , ना सवाल, ना ख्याल
तेरा जिंदगी से जाना
जैसे वादी में पशमीना, जैसे सागर में सफीना, जैसे पत्थर में नगीना
तेरा मेरा खुदा होना
जैसे था ही कुछ कहीं ना, जैसे चाहा तुझे कभी ना,जैसे बातें कोई कहीं ना
तेरा मुझसे जुदा होना
वो वक्त ठहरा ठहरा, वो सब कुछ कितना गहरा, वो सपनों पे ना पहरा
तेरा जादू मुझपे छाना
वो सब कुछ सहरा सहरा , वो जैसे बस कोहरा, मैं जैसे कोई मोहरा
तेरा बहानों का बनाना
जैसे आयत की लिखाई, जैसे मीर की रूबाई, जैसे गालिब की सुनाई
तेरा धड़कनों में बसना
जैसे तुगलकी फरमान, जैसे औरंग का गुमान , जैसे बादशाहो की ढलाई
तेरा धड़कनों को डसना
था कमाल, हां धमाल, दिल जैसे मालामाल
ना मलाल , ना सवाल, ना ख्याल
तेरा जिंदगी से जाना