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मोबाइल रिचार्ज हुआ महंगा तो भड़की कांग्रेस, कहा- जियो, एयरटेल और वोडाफोन 109 करोड़ उपभोक्ताओं को लूट रही

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नई दिल्ली. तीन निजी मोबाइल कंपनियों जियो, एयरटेल और वोडाफोन  द्वारा मोबाइल सेवा शुल्क बढ़ाने को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने शुक्रवार को उस पर 109 करोड़ मोबाइल फोन उपभोक्ताओं को लूटने का आरोप लगाया. पार्टी ने सवाल किया कि कंपनियों को बिना किसी निगरानी और नियमन के एकतरफा तरीके से दरें बढ़ाने की अनुमति कैसे दी जा सकती है.

कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि यह भले ही मोदी 3.0 है, लेकिन मित्र पूंजीपतियों को बढ़ावा देना जारी है. निजी मोबाइल कंपनियों को लाभ कमाने की मंजूरी देकर नरेन्द्र मोदी सरकार 109 करोड़ मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं को लूट रही है.

दरों में 15 फीसदी की वृद्धि

सुरजेवाला ने कहा कि तीन निजी मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने तीन जुलाई से अपने शुल्क में औसतन 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है. इन तीनों कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी 91.6 प्रतिशत या 31 दिसंबर, 2023 तक कुल 119 करोड़ मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं में से इनके 109 करोड़ उपयोगकर्ता थे.

तीनों कंपनियों का एकाधिकार

सुरजेवाला ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का हवाला देते हुए कहा कि कनेक्टिविटी चाहने वाले आम लोगों की जेब से कुल अतिरिक्त वार्षिक भुगतान 34,824 करोड़ रुपये होगा. भारत में मोबाइल फोन बाजार पर रिलायंस जियो (48 करोड़ उपयोगकर्ता), एयरटेल (39 करोड़ उपयोगकर्ता), वोडाफोन आइडिया (22.37 करोड़ उपयोगकर्ता) का एकाधिकार है.

आपस में बातचीत के बाद तीनों कंपनियों ने बढ़ाई दर

सुरजेवाला ने कहा, दो बातें स्पष्ट हैं. पहली बात शुल्क में वृद्धि की घोषणा की तिथि स्पष्ट रूप से तीनों निजी मोबाइल फोन कंपनियों द्वारा एक-दूसरे से परामर्श करके तय की गई है. दूसरी बात बढ़े हुए शुल्क के प्रभावी क्रियान्वयन की तिथि एक ही है.

सरकार ने जिम्मेदारी से मुंह क्यों मोड़ा

सुरजेवाला ने पूछा कि मोदी सरकार और ट्राई ने 109 करोड़ मोबाइल फोन उपभोक्ताओं के प्रति अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी से मुंह क्यों मोड़ लिया. क्या संसदीय चुनाव संपन्न होने तक मोबाइल फोन की शुल्क में वृद्धि रोककर नहीं रखी गई? साथ ही सवाल किया कि क्या मोदी सरकार या ट्राई ने दूरसंचार नीति, 1999 के तहत देय समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) पर रियायतों के पिछले सेट या 20 नवंबर, 2019 को मोदी 2.0 द्वारा स्पेक्ट्रम नीलामी किस्तों को स्थगित करने या अन्य संबंधित कारकों को ध्यान में रखते हुए नीलामी के माध्यम से स्पेक्ट्रम की खरीद से लाभप्रदता पर प्रभाव या पूंजीगत व्यय की आवश्यकता पर कोई अध्ययन किया है.

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