यह किस तरह का पेज का है
अदालत ने कहा कि यह कैसे हो सकता है। मानहानि मुकदमे की सुनवाई के दौरान विकिपीडिया की कार्यप्रणाली को समझाए जाने के बाद न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने यह टिप्पणी की। पीठ ने पूछा कि क्या कोई विकिपीडिया पर किसी पृष्ठ को संपादित कर सकता है? अगर यह किसी के लिए भी संपादन के लिए खुला है तो यह किस तरह का पेज है?
कोई भी कंटेंट एडिट कर सकता है लेकिन…
अदालत के सवाल के जवाब में विकिपीडिया ने बताया कि उनके प्लेटफॉर्म पर कोई भी कंटेंट का संपादन कर सकता है, ऐसे में उसके खिलाफ मुकदमा चलाना ठीक नहीं है। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने इस पर हैरानी जताई और कहा कि क्या विकिपीडिया के पर कोई भी पेज को एडिट कर सकता है? आखिर यह कैसा पेज है, जिसे कोई भी खोलकर एडिट कर सकता है। तब विकिपीडिया ने जवाब दिया कि भले ही किसी को भी हमारे प्लेटफॉर्म पर एडिट करने का अधिकार हो लेकिन उन पर भी इंटरनेट पर कंटेंट पब्लिश करने से संबंधित नियम लागू होते हैं।
यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नहीं है जो…
विकिपीडिया के उत्तर पर हाईकोर्ट ने इसे खतरनाक व्यवस्था करार दिया। तब विकिपीडिया ने कहा कि एडिट करते वक्त यूजर को नियमों का भी ख्याल रखना होता है। अदालत में विकिपीडिया का पक्ष रखते हुए उसके वकील मेहता ने कहा कि, यह फेसबुक जैसा नहीं है, सोशल मीडिया भी नहीं है। यह ऐसा प्लेटफॉर्म नहीं है जिसमें हर यूजर का अपना पेज होता है और उस पर कुछ भी कर सकते हैं। अगर यूजर के पास किसी पेज से जुड़ी जानकारी है तो वह उसे जोड़ सकते हैं। पेज सभी के द्वारा संपादन के करने के लिए खुला रहता है। इसकी विश्वसनीयता की बड़ी वजह ये भी है। साथ ही अगर को जानकारी जोड़ रहा है तो उसका सोर्स भी साझा करना पड़ता है।
क्या है याचिका
गौरतलब है कि न्यूज एजेंसी एशिया न्यूज इंटरनेशनल (एएनआई) ने विकिपीडिया के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया है। इस याचिका में एएनआई ने दावा किया है कि उसके बारे में विकिपीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत जानकारी दी गई है।
एएनआई ने अपनी याचिका में कहा है कि विकिपीडिया पर उसे प्रोपेगेंडा टूल बताया गया है। इस पर हाईकोर्ट ने विकिपीडिया को समन करते हुए उन लोगों के नाम मांगे थे जिन्होंने पेज का संपादन किया। इस पर विकिमीडिया फाउंडेशन ने आपत्ति जताई थी।