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यह समाज

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कवि- अज्ञात
बांग्ला से हिंदी अनुवादक- अशोक वर्मा
ओ जी, आप जाने पहचाने लगते हैं
हां, मैं इसी मोहल्ले में रहता था।
ओ किसे चाहिए?
जी, पुराने किसी को देख नहीं पा रहा, उन्हीं को ढूंढता हूँ।
तो किसे चाहते हैं आप”
जी, वही तो पुराने किसी को नहीं देख पा रहा हूँ।
अच्छा, उस घर में सत्य रहता था ?
वह उसे असूर दखल कर लिया है, बात करेंगे उनसे ”
नही… रहने दीजिए। अच्छा यह मकान ?
ओ, विवेक के मकान की बात पूछ रहे हैं
वे अभी यहां नहीं रहते मकान खाली पड़ा है।
सुना था लालसा उसे खरीद ली है।
कहां रहते हैं अभी आपको पता है ?
मुश्किल की बात मुझे कैसे पता होगा”
अच्छा मानविकता का मूल्यबोध वह कहां है?
ये भी चले गए हैं। उनकी बात तो सुनी थी।
उधर रहते थे सुनी थी, आजकल उस घर में
शठता और कूटचाल रहते हैं।
हा सतता की कोई खबर बता सकेंगे
कौन सतता?
वह जो विवेक का लड़का और सत्य का भाई
उनकी बात मत पूछिए मैया, बेचारा कैसर से आक्रांत हो भोग रहा है।
बहुत बीमार है, शायद अब बच नहीं पाएगा
और लज्जा? उसका मकान भी खाली है
उन्हें भी नहीं देखता हूँ।
उसके मकान में नग्नता और उग्रता रहती है।
कौन मकान है उनका ?
वह जी दूर सड़क के किनारे लड़के को देख रहे हैं, उसका नाम
काम है, वहाँ नग्नता का घर है।
अच्छा, मोहल्ले के मुखिया थे मर्यादा और सम्मान,
उनसे कुछ काम था।
और मत बोलिए सम्मान को तो अविश्वास और उसका दल लांछन लगाकर भगा दिए है।
और मर्यादा रात के अँधेरे में भाग कर छुप गया।
उसे घर में अभी वित्त और विषमता रहते हैं।
अच्छा हंसी का मकान कौन सा है?
हंसी यानि आनंद की बहन की बात पूछ रहे है?
जी जी।
क्या बताएं, वो रोदन के पास घर बेचकर चली गई
क्या पूछा आपने ? प्यार? क्या बताऊं विश्वास जिस दिन मरा
उसके बाद से कोई प्यार को देखा तक नहीं।
उसके घर में ताला झूल रहा है।
पुराने कोई भी नहीं है?
पुराना अगर कहे तो यह जो मकान दिख रहा
वह पांच मंजिला मकान
हाँ यह दुख का मकान है। था तो एक मंजिला |
उसी के पास तीन मंजिला में यंत्रणा रहती है
दस मंजिला मकान का नीव रखी है
मैदान के किनारे जो देख रहे हैं
ये प्रतारको के घर थी तो कुटिया, पर सब के सब दालान बन गये।
यहां अविश्वास किराए पर रहता है
और यह जो दूर पोखर के पास घर है
वह है अभाव का। पहले जैसा ही है।
आपका नाम ”
जी मुझे पहचाना न
मैं नियति हूं कभी देखा नहीं होगा, पर नाम तो सुने होंगे जी
पर आप लोग कौन है”
मैं जीवन और यह है शांति
उफ्फ आप लोगों के लिए प्रतीक्षा कर रही थी।
आइए आइए प्लीज आज से हमारे मोहल्ले में रहेंगे आप दोनों।
क्या कह रही है? कहां रहेंगे?
कौन सा मकान चाहिए, बताइए न प्लीज
बताइए पर अब लौटकर नहीं जाना आप लोगों की सख्त जरूरत है।
खेद है बहन जी जहां विश्वास, प्यार, सतता,
सम्मान, मर्यादा कोई नहीं. वहां जीवन और शांति कैसे रह सकती है?
चलते हैं। ये लोग आने पर फिर मुलाकात होगी।
धन्यवाद
Utube में उपरोक्त कविता सुनी थी, जो अत्यन्त
मर्मस्पर्शी है। हिन्दी पाठकों के लिए मैने इसे अनुवाद करके प्रस्तुत किया है, आशा है आपको भी अच्छा लगेगा

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