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हम हर घड़ी नाक के द्वारा श्वास लेते हैै, जिससे हम शुद्ध हवा ओक्सीजन (oxygen) ग्रहण करते हैं, और शरीर का कार्बन डाइऑक्साइड (carbon dioxide) नाक के द्वारा ही शरीर से बहार निकाल देते हैं। ऑक्सीजेन (oxygen) हमारे अंदर के गन्दगी को सफाई करति है। आइये इसे और बिस्तार से जाने —
जब हम नाक से श्वास लेते हैं, वह श्वास नाकों से होकर फेफड़ों (lungs) में जाती है, फेफड़ा हृदय (Heart) द्वारा भेजे दूषित रक्त को साफ करके उस साफ शुद्ध रक्त को रक्त नालिकाओं द्वारा वापस हृदय को देती है। हृदय शुद्ध रक्त, रक्त वाही नालिकाओं के द्वारा शरीर के कोशिकाओ (Cell) को दे देती है। हमारे शरीर की कोशिकायें( cell) शरीर के दूषित पदार्थो को रक्त के द्वारा हृदय को देती है, हृदय उस दूषित रक्त को साफ, शुद्ध करने के लिए फेफड़ा को देती है। जहॉ श्वास द्वारा ग्रहण किये ऑक्सीजेन (oxygen) फिर से दूषित रक्त को शुद्ध करके उस शुद्ध रक्त फेफड़ा हृदय को वापस करती है। और दूषित रक्त से लिए कार्बन डाइऑक्साइड (carbon dioxide) के रूप में नाक से बाहर करती है।
जब हम प्राणायाम के द्वारा फेफड़ों में लम्बा गहरा श्वास भारते है, हम ज्यादा ऑक्सीजेन फेफड़ों को देते है, फेफड़ों में ज्यादा ताकत बढ़ जाता है, रक्त पहले से ज्यादा शुद्ध होने लगता है। ज्यादा शुद्ध रक्त से हमारे शरीर के कोशिकाएं (cell) मजबूत होती है, शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ने लगती है। हमारा हृदय एक बार में ७० से ८० मी ली (70 to 80 ml) रक्त फेफड़ों को शुद्ध करने के लिए देता है। हमारा हृदय (Heart) एक मिनट में ७२ बार पम्प करके करीब पांच लीटर रक्त फेफड़ों से साफ करवाती है। योग-प्राणायाम नियमित करने से रक्त-वाही नालिकाये साफ रहती है, जिससे रक्त चाप, दिल का दौरा होने की संभावना नहीं रहती। योग और प्रणायाम शरीर को स्वस्थ्य, निरोग रखने का एक सनातन विज्ञान है। जिसका जोड़ पूरे दुनिया में किसी भी देश में नहीं। – दुर्गा कोना, काछाड़