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रतनपुर में संपत्ति के लोभ में पुत्र ने की वृद्ध माता-पिता को मारने की कोशिश, ग्रामीणों ने किया न्याय, मामा को सौंपी गई जिम्मेदारी

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रतनपुर, तापांग 7 जून:
संपत्ति के लालच में एक नालायक बेटे द्वारा अपने वृद्ध माता-पिता को बाढ़ के पानी में डुबोकर मारने की सनसनीखेज कोशिश का मामला सामने आया है। लेकिन समय रहते ग्रामीणों की सजगता से उनकी जान बच गई। इस घटना से पूरे क्षेत्र में आक्रोश फैल गया, और ग्रामीणों की उपस्थिति में पंचायत कर वृद्ध दंपति को उनके मायके पक्ष यानी मामा के जिम्मे सौंप दिया गया।

यह दर्दनाक घटना तापांग ब्लॉक के रतनपुर कॉलोनी के कीर्तन मैदान स्थित सार्वजानिक कम्युनिटी हॉल में आयोजित एक विशेष बैठक में सामने आई। गांव के सैकड़ों लोग और स्थानीय जनप्रतिनिधि इस पंचायत में शामिल हुए। पीड़ित वृद्ध दंपति—70 वर्षीय रमन दास और 65 वर्षीय मनमाला दास—को उनका छोटा भाई मोहनलाल दास अब आजीवन अपने घर में रखेगा।

ग्राम पंचायत के नवनिर्वाचित जिला परिषद सदस्य निपेन्द्र चंद्र दास ने बताया कि आरोपी पुत्र रासमणि दास ने बाढ़ के समय जानबूझकर अपने माता-पिता को बर्सांगन इलाके में एक जलाशय के बीच बने मचान पर बने कमरे में बंद कर दिया और तीन-चार दिनों तक उन्हें वहीं छोड़ दिया, ताकि वे जल में डूबकर मर जाएं। लेकिन भगवान की कृपा से आस-पास के कुछ युवकों ने समय रहते यह स्थिति देखी और नाव से पहुंचकर उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला।

बुजुर्गों की आपबीती सुनकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैल गया और सामूहिक रूप से पंचायत कर न्याय किया गया। फैसला लिया गया कि अब यह वृद्ध दंपति उनके छोटे मामा मोहनलाल दास की देखरेख में रहेंगे।

ग्रामीणों ने बताया कि रासमणि दास और उसकी पत्नी अक्सर वृद्ध माता-पिता को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते थे। यह कुकृत्य अत्यंत अमानवीय और पशुतुल्य है। समाजसेवी सजल कांति दास ने कहा, “गांव के इतिहास में ऐसी शर्मनाक घटना पहले कभी नहीं घटी। हम उन युवाओं के आभारी हैं जिन्होंने समय रहते हस्तक्षेप कर जान बचाई।”

इस मौके पर कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे, जिनमें पूर्व जिला परिषद सदस्य तपन दास, बर्सांगन ग्राम पंचायत के वार्ड सदस्य नयनतारा दास (वार्ड 1), रामप्रसाद दास (वार्ड 2), अंचल पंचायत सदस्य सुकुमार दास, रौजकांदी पंचायत सदस्य अजीत दास, अधिवक्ता बाबुल दास, समाजसेवी रथीकांत दास, मनोरंजन दास, शिवू दास, सौरभ दास, राजीव दास, महानंद दास और सौमेंद्र दास प्रमुख रूप से शामिल थे।

समाज की ओर से यह संदेश स्पष्ट है कि बुजुर्गों के प्रति कोई भी अत्याचार सहन नहीं किया जाएगा। ऐसे अमानवीय कृत्यों के खिलाफ समाज एकजुट होकर न्याय करेगा।

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