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भारतीय रेल के सर्वोच्च मंच रेलवे बोर्ड की लाल कालीन पर खड़े होना प्रत्येक रेल कर्मी का स्वप्न होता है। रेल सेवक, कवि-शायर रवि प्रताप सिंह के इस स्वप्न को पूरा कराया, उनके ग़ज़ल संग्रह “सन्नाटे भी बोल उठेंगे” ने। श्री सिंह ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि उनकी पुस्तक “सन्नाटे भी बोल उठेंगे” देश-विदेश के साहित्यिक गलियारों में चर्चित कृति है, इस पुस्तक से उन्हें रॉयल्टी भी प्राप्त होती है। उन्होने बताया कि रेलवे बोर्ड राजभाषा विभाग ने मैथिली शरण गुप्त द्वितीय पुरस्कार से उन्हें रेल भवन में विभूषित किया। श्री रवि प्रताप सिंह सियालदह मंडल,पूर्व रेलवे में मुख्य कार्यालय अधीक्षक पद पर कार्यरत हैं। रवि प्रताप सिंह को 18 अक्टूबर को प्रमाण पत्र व धनराशि प्रदान कर सम्मानित-पुरस्कृत किया गया। रवि प्रताप सिंह ने अपने इस पुरस्कार को नौकरी के साथ हिंदी सेवा करने वाले रेल कर्मियों को समर्पित किया है। साथ ही अपने विभागीय अधिकारी द्वय वरिष्ठ मंडल यांत्रिक इंजीनियर (समन्वय) श्री रोहित रंजन तथा मंडल यांत्रिक इंजीनियन सुश्री दिव्या वर्मा को विभागीय साहित्यिक प्रेरक मानते हुए, आभार ज्ञापित किया। रवि प्रताप सिंह ने बताया कि उनकी अखिल भारतीय साहित्यिक संस्था ‘शब्दाक्षर’ के पदाधिकारियों में भी इस पुरस्कार प्राप्ति पर हर्ष की लहर व्याप्त है,संस्था से लगातार उन्हें बधाई सन्देश प्राप्त हो रहे हैं।