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18 दिसंबर 2023, शनिवार को प्रख्यात लेखक रसेन्द्र कुमार दे का 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह लंबे समय से अन्ननलिकीय कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। अपनी मृत्यु से एक वर्ष पूर्व, 2023 के दुर्गा पूजा के बाद, उन्होंने अपने जीवनभर के लेखन को पुस्तक रूप में प्रकाशित करने की इच्छा व्यक्त की थी। यह मेरे लिए उनके साथ जुड़ने और उनकी इस इच्छा को पूरा करने का एक महान अवसर था।
‘समीक्षा गूच्छ’ त्रयी का प्रकाशन
रसेन्द्र कुमार दे की रचनाओं को तीन खंडों में क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत किया गया:
1. ‘समीक्षा गूच्छ – प्रथम खंड’
2. ‘समीक्षा गूच्छ – द्वितीय खंड’
3. ‘समीक्षा गूच्छ – तृतीय खंड’
152 पृष्ठों की ‘समीक्षा गूच्छ – प्रथम खंड’ को जब उन्होंने अपने हाथों में लिया, तो उनकी खुशी और संतोष को शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल था। लेकिन उनकी बिगड़ती सेहत के कारण ‘द्वितीय खंड’ का काम जल्दबाजी में पूरा करना पड़ा। शिलचर में कैंसर निदान के बाद, वह खुद को कमज़ोर और समय के खिलाफ दौड़ते हुए महसूस कर रहे थे। फिर भी, उनकी इच्छाशक्ति और साहित्यिक लगन ने हमें प्रेरित किया।
‘ज्योतिर्गमय पूर्व दिगंत उत्सव’ में त्रयी का भव्य अनावरण
27 जुलाई 2024 को शिलचर में आयोजित ‘ज्योतिर्गमय पूर्व दिगंत उत्सव’ में ‘समीक्षा गूच्छ – प्रथम और द्वितीय खंड’ का विधिवत अनावरण हुआ। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में, रसेन्द्र कुमार दे ने अपनी सुपुत्री और प्रसिद्ध गायिका नवनीता दास के साथ मंच पर उपस्थिति दर्ज की। उनकी उपस्थिति और आशीर्वचन ने उस शाम को यादगार बना दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत नवनीता दास के मधुर गायन से हुई। साहित्यकार स्वप्न भट्टाचार्य ने खंडों की समीक्षा प्रस्तुत की। रसेन्द्र कुमार दे ने भी अपने अनुभव साझा किए, हालांकि वह शारीरिक रूप से बेहद कमजोर थे। उनके चेहरे पर संतोष और तृप्ति के भाव हमें उनके जीवन के असाधारण पहलुओं से परिचित कराते थे।
‘तृतीय खंड’ का प्रकाशन और उनका स्वप्न पूरा होना
‘समीक्षा गूच्छ – तृतीय खंड’ का कार्य उनकी बीमारी के बावजूद पूरा हुआ। पुस्तक का अनावरण 17 सितंबर 2024 को ‘विश्वकर्मा पूजा समारोह’ में किया गया। दुर्भाग्यवश, वह इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके, लेकिन उनकी लेखनी और साहित्यिक धरोहर ने उन्हें अमर कर दिया।
साहित्यिक योगदान और उनकी विरासत
रसेन्द्र कुमार दे ने शिलचर के लगभग सभी प्रमुख दैनिक अखबारों में संपादकीय और पत्र लिखकर समाज को जागरूक किया। वह असम सरकार के निर्माण विभाग से एडिशनल चीफ इंजीनियर के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे। लेकिन उनकी असली पहचान उनकी लेखनी और अद्वितीय व्यक्तित्व थी।
आज, ‘समीक्षा गूच्छ’ त्रयी उनके अद्भुत साहित्यिक योगदान का प्रतीक है। उनकी विनम्रता और प्रतिबद्धता ने न केवल उन्हें एक श्रेष्ठ लेखक बनाया, बल्कि एक सच्चा इंसान भी।
रसेन्द्र कुमार दे को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।
उनकी आत्मा को शांति मिले और उनकी साहित्यिक विरासत हमें प्रेरणा देती रहे।
“ॐ शांति, ॐ शांति, ॐ शांति।”