गुवाहाटी, असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने आज यहां जीएमसीएच ऑडिटोरियम में आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय संस्कृति के प्राचीन और अद्भुत ज्ञान ”योग” पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। श्रीमंत शंकरदेव यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज द्वारा भारतीय योग संस्कृति और योग चिकित्सा केंद्र, गुवाहाटी के सहयोग से योग को भारत की सांस्कृतिक विरासत के रूप में बढ़ावा देने के लिए ”मानवता के लिए योग” शीर्षक से संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी 21 जून को मनाए जाने वाले 10वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित की गई है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि योग का लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। योग व्यक्ति में दया और करुणा की भावना जागृत करता है, जो उसे मानवता की सेवा करने के लिए प्रेरित करता है। राज्यपाल ने कहा कि आधुनिक समय में योग को स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए व्यायाम और चिकित्सा की एक प्रणाली के रूप में समझा जाता है। हालांकि, योग का उद्देश्य सिर्फ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ ही नहीं है, बल्कि इससे भी कहीं अधिक है।
उन्होंने कहा कि दुनिया भर के विद्वानों ने माना है कि योग के अभ्यास से न केवल शारीरिक और मानसिक विकास होता है, बल्कि नैतिक विकास भी होता है। योग व्यक्ति में पारिवारिक मूल्यों और विश्वासों को भी जागृत करता है। इसलिए, योग का अभ्यास करने से व्यक्ति में प्रेम, करुणा, सहानुभूति और नैतिकता जैसे गुणों का विकास होता है और ऐसे गुणों से ही स्वस्थ परिवार और समाज का निर्माण होता है।
राज्यपाल ने कहा कि स्वस्थ नागरिक से स्वस्थ परिवार बनता है और स्वस्थ और संस्कारित परिवार से आदर्श समाज की स्थापना होती है। आदर्श समाज से ही देश विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा। इसलिए योग अभ्यास का समाज और देश के विकास पर सीधा प्रभाव पड़ता है। कटारिया ने यह भी कहा कि योग प्राचीन भारतीय संस्कृति की अमूल्य देन है। योग का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है और सभ्यता के आरंभ से ही योग का अभ्यास किया जाता रहा है। योग विद्या में भगवान शिव को प्रथम योगी, प्रथम गुरु या आदि योगी माना जाता है।
उन्होंने कहा कि महर्षि पतंजलि के अलावा अनेक ऋषियों और योगाचार्यों ने योग साधना और योग साहित्य के माध्यम से इस क्षेत्र के संरक्षण और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राज्यपाल ने यह भी कहा कि योग के दृष्टिकोण से भारत एक ”सॉफ्ट पावर” के रूप में उभरा है। पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ”योग दिवस” मनाने का प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव को दुनिया के 170 से अधिक देशों का समर्थन मिला, जिसके परिणामस्वरूप प्रत्येक 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया।
इस अवसर पर एम्स, गुवाहाटी की अकादमी की डीन प्रो. मानसी भट्टाचार्य, गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अच्युत चंद्र बैश्य, श्रीमंत शंकरदेव स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के डीन प्रो. पंकज अधिकारी, भारतीय योग संस्कृति एवं योग चिकित्सा केंद्र के अध्यक्ष योगाचार्य शुभाशीष सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।