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रामकृष्णनगर में महीनों से बंद हैं स्ट्रीट लाइटें, दीपोत्सव के पहले भी नहीं जले “अंधेरे के शहर” की रोशनी मुख्यमंत्री हिमंत विश्वशर्मा के आगमन से पहले शहरवासी नाराज़, जिम्मेदार विभाग पर लापरवाही का आरोप

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विशेष संवाददाता, रामकृष्णनगर, 17 अक्टूबर:
रामकृष्णनगर शहर की सड़कों पर महीनों से अंधेरा पसरा हुआ है। सड़क डिवाइडर पर लगी स्ट्रीट लाइटें लंबे समय से बंद हैं, और अब जबकि दुर्गा पूजा समाप्त होकर काली पूजा व दीपावली नजदीक है — तब भी शहर रोशनी से वंचित है। इस बीच 24 अक्टूबर को मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा रामकृष्णनगर आने वाले हैं, मगर संबंधित विभाग ‘धृतराष्ट्र’ की भूमिका निभा रहा है — ऐसी ही शिकायतें उठने लगी हैं।

शहर के मुख्य मार्गों पर अंधकार छाया है, जबकि नगर पालिका की ओर से लगाए गए सात फ्लडलाइट प्वाइंट्स ही किसी तरह जल रहे हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सड़क डिवाइडर पर लगी लगभग 20 से अधिक स्ट्रीट लाइटें पिछले कई महीनों से बंद हैं। न तो दुर्गा पूजा से पहले, और न ही अब काली पूजा के पहले इन लाइटों की मरम्मत की गई।

नगरपालिका का कहना है कि इन लाइटों की देखरेख का दायित्व लोक निर्माण विभाग (PWD) के पास है, लेकिन पूजा के मौसम में भी विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया। नतीजतन रात में पूजा देखने निकले लोगों को अंधेरे में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को।

स्थानीय नागरिकों ने चेताया है कि यदि दीपावली और काली पूजा की रात भी सड़कों पर अंधेरा कायम रहा, तो शहर की छवि पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। लोगों ने मांग की है कि दीपोत्सव से पहले रामकृष्णनगर की सभी स्ट्रीट लाइटें तत्काल चालू की जाएं, ताकि शहर फिर से रोशनी में नहाए।

गौरतलब है कि दो वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा  के रामकृष्णनगर दौरे से एक दिन पहले भाजपा कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों ने खेल मैदान में एक लाख दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। इस वर्ष भी मुख्यमंत्री का आगमन दीपावली के केवल चार दिन बाद तय है, लेकिन इसके बावजूद शहर को सजाने या रोशन करने की कोई ठोस तैयारी दिखाई नहीं दे रही।

नगरपालिका, लोक निर्माण विभाग और अनुमंडल प्रशासन — तीनों की निष्क्रियता पर नागरिकों ने गहरी नाराजगी व्यक्त की है। वहीं, स्थानीय विधायक विजय मलाकार और सांसद कृपानाथ माला की मौन भूमिका ने भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

शहरवासियों का प्रश्न सीधा है — “जब पूरा राज्य रोशनी में नहाता है, तो रामकृष्णनगर ही अंधेरे में क्यों डूबा रहे?”

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