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हीरक बनिक, रामकृष्णनगर, २ दिसंबर: २०२६ के विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू होते ही रामा कृष्णनगर सीट पूरे जिले में राजनीतिक चर्चाओं का सबसे बड़ा केंद्र बन गई है। गली-मोहल्लों से लेकर चाय दुकानों तक, सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक दफ्तरों तक—हर जगह एक ही सवाल गूंज रहा है—शासन दल किसे देगा टिकट, और चुनावी मैदान में सबसे आगे कौन रहेगा ? टिकट की दावेदारी—भीतरखाने मची खामोश जंग। शासक दल के भीतर कई नेता टिकट पाने की दौड़ में हैं। हर उम्मीदवार अपनी-अपनी लोकप्रियता, संगठनात्मक पकड़ और कार्यकर्ताओं की निष्ठा को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। कहीं बड़े-बड़े जनसंपर्क कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं, तो कहीं विकास कार्यों की समीक्षा के नाम पर जनता के बीच पैठ बढ़ाने की कोशिश चल रही है। सूत्रों की मानें तो पार्टी नेतृत्व चार प्रमुख पहलुओं पर उम्मीदवारों का मूल्यांकन कर रहा है—
जनता में स्वीकार्यता
वास्तविक विकास कार्यों का रिकॉर्ड
संगठन में योगदान और पकड़
स्थानीय मुद्दों को समझने की क्षमता
इन सभी बिंदुओं के चलते टिकट की जद्दोजहद अंतिम क्षण तक बनी रहने वाली है। विपक्ष भी उतरा मैदान में, ‘बदलाव’ का नारा जोर पकड़ता हुआ।विपक्षी दल भी चुनाव को लेकर पूरी तरह सक्रिय हो चुके हैं। उनका दावा है कि रामा कृष्णनगर में इस बार समीकरण बदल सकते हैं। इसके लिए वे गांव-गांव जाकर सार्वजनिक समस्याओं को उठाने, भ्रष्टाचार और विकास की असमानताओं को मुद्दा बनाकर जनता से जुड़ने की कोशिश में लगे हुए हैं। विपक्ष की ऊर्जा बढ़ती देख राजनीतिक वातावरण और ज्यादा गर्म होता जा रहा है। विकास बनाम नया चेहरा—जनता की उम्मीदें किससे ? स्थानीय निवासियों के बीच इस बार का चुनाव विकास बनाम नए चेहरे की मांग पर टिका दिखाई दे रहा है। सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और भविष्य की विकास योजनाओं को लेकर जनता की सोच काफी स्पष्ट है— “इस बार पार्टी नहीं, मजबूत और काम करने वाला चेहरा चाहिए।” कई मतदाताओं का कहना है कि वे सिर्फ वादे पर नहीं, पिछले ४–५ वर्षों में दिखे वास्तविक कार्यों पर वोट करेंगे।रामकृष्णनगर विधानसभा क्षेत्र के दो बार के विधायक विजय मालाकार इस चुनावी चर्चा के केंद्र में बने हुए हैं। उनके समर्थकों का दावा है कि पिछले वर्षों में अवसंरचना विकास, सड़क मरम्मत, शिक्षा संस्थानों के विस्तार और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए उन्होंने लगातार काम किया है।
राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंता बिस्वा सरमा भी सार्वजनिक मंचों पर उनकी कार्यशैली की कई बार प्रशंसा कर चुके हैं, जिससे उनके फिर से टिकट पाने की संभावना और मजबूत मानी जा रही है। शासक दल की ही एक धड़ा आरोप लगा रहा है कि कुछ नेता और कार्यकर्ता लॉबीबाज़ी में जुटे हुए हैं, जो पार्टी की छवि और संगठन दोनों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसी वजह से टिकट चयन की प्रक्रिया और भी पेचीदा बनती जा रही है। और यहीं सबसे बड़ा सवाल उठ खड़ा होता है, क्या विजय मालाकार को मिलेगा तीसरा मौका ? या फिर, पार्टी किसी नए चेहरे को आगे कर चुनाव मैदान में उतारेगी ? चुनाव अब नजदीक, जनता की नजर पार्टी हाईकमान पर।चुनाव में अब मुश्किल से तीन–चार महीने ही बचे हैं। ऐसे में जनता, कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक सभी की निगाहें अब पार्टी हाईकमान पर टिक गई हैं। किसके सिर सजेगा सत्ता का ताज ? किसे मिलेगा शासक दल का टिकट ? और 2026 में रामा कृष्णनगर का नेतृत्व कौन करेगा ? इन सभी सवालों के जवाब अब सिर्फ समय ही देगा। फिलहाल इतना तय है कि आने वाले दिनों में यहां की राजनीति और भी गर्म होने वाली है—और हर दिन बढ़ने वाला तनाव चुनावी माहौल को और रोचक बनाता जाएगा।





















